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एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत, थाना प्रभारी सहित 10 पुलिसकर्मी निलंबित

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Jun 27, 2019

दिलशाद अहमद : लगातार विवादों में रहने वाली सूरजपुर पुलिस फिर से एक बार सुर्ख़ियों में है, इस बार वजह है एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत। जिसकी वजह से सूरजपुर पुलिस कटघरे में है,घटना के तुरंत बाद एस पी सूरजपुर ने थाना प्रभारी सहित 10 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। वहीं पुलिस लॉकअप में हुई इस संदिग्ध मौत पर मृतक के परिजन कई गंभीर सवाल उठा रहे हैं। फिलहाल पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी गई है।

फांसी पर झूला मृतक
दरअसल मृतक कृष्णा की पत्नी जो की पिछले चार सालों से अपने पति से अलग रह रही थी। उसने चंदौरा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी की उसका पति फोन पर उसे परेशान कर रहा है, जिसके बाद बुधवार को सुबह 10 बजे मृतक को पुलिस ने थाने में बुलाया और मारपीट करके बिना किसी FIR दर्ज किये नंगा कर उसे लॉकअप में बंद कर दिया। दोपहर लगभग 12 बजे जब पुलिस का एक सिपाही लॉकअप के पास गया तो देखा की कृष्णा लॉकअप में ही फांसी पर झूल रहा था। इसकी जानकारी उसने तत्काल अपने आला अधिकारियों को दी,मामले की जानकारी मिलते ही एस पी सूरजपुर मौके पर पहुंचे और उन्होंने प्रथम दृष्टया पुलिस कर्मियों की लापरवाली मानते हुए कुल 12 स्टाफ में से थाना प्रभारी सहित 10 स्टाफ को तत्काल निलंबित कर दिया।

लापरवाही के आरोप में पूरा थाना निलंबित
शायद यह प्रदेश की पहली घटना होगी जहाँ लापरवाही के आरोप में लगभग पूरा थाना ही निलंबित हो गया। वहीं पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी गई है, हालांकि अभी कोई भी पुलिस अधिकारी खुल कर कुछ बोलने को तैयार नहीं है लेकिन पुलिस सूत्र बता रहे हैं की हवालात में डालने से पहले मृतक कृष्णा को पुलिसकर्मियों ने बहुत बेरहमी से पिटाई की थी।

मृतक के परिजन पुलिस पर लगा रहे गंभीर इल्जाम
इस पूरे मामले में मृतक के परिजन पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं,उनके अनुसार आत्महत्या करते समय किसी भी व्यक्ति का पैर जमीन से ऊपर रहता है,जबकि मृतक का पैर जमीन पर था,साथ ही मृतक के शरीर पर चोट के निशान हैं,जो पुलिस की बर्बरता की गवाही दे रहे हैं। हालांकि मृतक के परिजनों को उम्मीद है की उन्हें न्याय जरूर मिलेगा इसी उम्मीद से उन्होंने अपनी सभी बातों को मजिस्ट्रेट के सामने रखा है।

सबसे गंभीर बात यह है की पुलिस को देखकर आम इंसान खुद को सुरक्षित महसूस करता है,लेकिन अगर पुलिस हिरासत में भी कोई सुरक्षित नहीं है तो पुलिस पर खुद की सुरक्षा को लेकर विश्वास कैसे कर सकते हैं ?