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आखिर किसान ने क्यों मांगी राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु?

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Oct 25, 2017

इंदौर : प्रदेश सरकार भले ही किसानों के लिए लगातार कल्याणकारी योजनाएं निकाल रही हो, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के कारण आज भी किसान इतना विवश है कि उन्हें राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करनी पड़ रही हैं। आप सोच सकते हैं कि किसान कितना प्रताड़ित हुआ होगा, जिसे न्याय पाने के लिए राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करनी पड़ी हो।

इंदौर जिले के हातोद तहसील के गांव आकासोदा में महज आठ बिगा अपने पुस्तैनी जमीन के लिए किसान सन 1992  से लड़ाई लड़ रहा हैं और इतना प्रताड़ित हो गया है कि अपनी पुश्तैनी जमीन अपने नाम कराने के लिए सालों से भटक रहा हैं। पैसों के अभाव में परिवार को भी नहीं पाल पा रहा हैं। 

आकासोदा ग्राम के किसानों ने अपनी जमीन पर कुआं बनाने के लिए ऋण लिया था। जब किसान समय पर ऋण नहीं चूका सके, तो संस्था ने जमीन अपने नाम कर ली और फिर किसान द्वारा ऋण ब्याज सहित चुकाने पर संस्था ने इन किसानों को नोड्यूज प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

उसके बाद किसानों ने अपनी पुस्तैनी जमीन अपने तीनों भाइयों के नाम करवा ली। उसके एक साल बाद वापस संस्था ने एसडीएम कोर्ट में आपत्ति लेकर उक्त संम्पत्ति सिर्फ स्टांप ड्यूटी नहीं लगाने को लेकर आपत्ति लगाई। वह भी जमीन नामांतरण होने के एक साल बाद।

जब उस जमीन को दो भाइयों द्वारा बेच दी गई। इससे कहीं न कहीं सवाल उठता हैं कि जब संस्था को आपत्ति लेना था, तो उन्होंने इतना समय क्यों लिया? दो किसानों द्वारा जमीन बेचे जाने के बाद ही संस्था ने क्यों आपत्ति ली?

अब यह परिवार इतना प्रताड़ित हो गया हैं कि इस परिवार ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की हैं। किसानों का कहना है कि या तो उनका हक दिया जाए या फिर उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।

इस बारे में सेवा सहकारी संस्था के अध्यक्ष जितेंद्र यादव और प्रबंधक खुमान सिंह यादव से बात की, तो उन्होंने भी माना कि उक्त जमीन का सेवा सहकारी संस्था आगरा जिला इंदौर का कोई ऋण बाकि नहीं है, लेकिन किसानों द्वारा समय सीमा के अनुरूप ऋण जमा नहीं किया गया था।

हालांकि उन्होंने भी माना कि किसानों ने पूरा ऋण का पैसा ब्याज सहित जमा किया हैं, लेकिन उसके बाद भी अधिकारियों का कहना हैं कि उन्होंने नियम अनुसार जमीन उनके नाम पर नहीं करवाई थी। इसी लिए संस्था ने आपत्ति ली हैं। हालांकि संस्था का ऋण ब्याज सहित जमा करने के बाद कोई संस्था कैसे किसानों की पुस्तैनी जमीन पर आपत्ति ले सकती हैं, यह जांच का विषय हैं। 

इस बारे में हमने जब इंदौर प्रीमियम शाखा के एमडी खरे से बात की, तो उनका कहना था कि उनके नॉलेज में मामला नहीं हैं। एक ओर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए लगातार किसान हितैषी योजनाएं लागू की जा रही है, लेकिन यह किसान परिवार अपनी ही पुस्तैनी जमीन अपने नाम करवाने के लिए भटक रहा है। इतना प्रताड़ित हो गया है कि अपनी ही जमीन अपने नाम से नहीं होने पर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है।