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कम रैंक वाला आईएएस, मैं 144 रैंक पर भी आईपीएस

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Oct 9, 2017

रतलाम : एसपी अमित सिंह ने आरक्षण को लेकर अपना दर्द बयां किया। एक सामाजिक कार्यक्रम में उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के साथ ही आरक्षण के कारण अपने से 456 रैंक नीचे रहने वाले साथी के आईएएस में चयन होने की पीड़ा बताई। उन्हें 144वीं रैंक मिली थी, जबकि उनके मित्र की रैंक 600 थी। 

शास्त्री नगर स्थित राजपूत बोर्डिंग में राजपूत समाज के दशहरा मिलन समारोह में एसपी सिंह ने कहा कि उनका एक क्लासमेट था, जो हिमाचल कैडर का था। उसका नाम नहीं लेना चाहता लेकिन उसके माता-पिता दोनों आईएएस अफसर थे।

उस साथी ने आईआईएम अहमदाबाद सहित उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया रैंक में 456 रैंक नीचे होने के बावजूद उसे आईएएस मिला और मुझे आईपीएस। जो लोग आरक्षण के नाम पर बार-बार आरक्षण ले रहे हैं, उसके लिए हमें मंच से बात रखनी होगी।

ऐसे लोग जिन्हें वास्तविक आरक्षण की जरूरत हैं, उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन जो लोग सक्षम हैं, बावजूद आरक्षण के नाम पर एडमिशन ले रहे हैं, नौकरी पा रहे हैं, उन्हें चिह्नित करने की आवश्यकता हैं। 

पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण मिलना चाहिए। सही मायने में 21वीं शताब्दी का सामाजिक न्याय यही हैं। सामाजिक न्याय को नए तरीके से परिभाषित करना होगा। जो आर्थिक रूप से टूट चुके हैं, उन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए। 

आरक्षण एक निश्चित समय के लिए हो, मतलब माता-पिता के सक्षम होने के बावजूद उन्हें आरक्षण मिल रहा हैं। आरक्षण एक निश्चित समय के लिए ही होना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर हों या जिन्हें इसकी आवश्यकता हो, उन्हें जरूर मिले।