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जहरीले कफ सिरप का काला साया: 11 मासूमों की मौत के बाद डॉक्टर गिरफ्तार, एमपी में सख्ती का दौर

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Oct 5, 2025

जहरीले कफ सिरप का काला साया: 11 मासूमों की मौत के बाद डॉक्टर गिरफ्तार, एमपी में सख्ती का दौर

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से 11 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। संदिग्ध किडनी संक्रमण के नाम पर शुरू हुई यह त्रासदी अब एक बड़ी साजिश का रूप ले चुकी है, जहां डॉक्टर की लापरवाही और दवा कंपनी की मिलावट ने निर्दोष जिंदगियों को लील लिया। शनिवार देर रात पुलिस ने कफ सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया, जबकि राज्य सरकार ने सिरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। यह घटना न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है, बल्कि दवा उद्योग की नैतिकता पर भी सवाल खड़े कर रही है। जांच में सामने आया है कि सिरप में घातक रसायन डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा 48.6% थी, जो किडनी फेलियर का कारण बनी।

गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई: डॉक्टर पर भारी आरोप

परासिया थाने में दर्ज एफआईआर के तहत डॉक्टर प्रवीण सोनी और कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के संचालकों के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(ए), बीएनएस की धारा 105 और 276 के तहत मामला दर्ज किया गया है। परासिया सीएचसी के बीएमओ अंकित सहलाम की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई। डॉक्टर सोनी, जो सरकारी अस्पताल में पदस्थ थे लेकिन निजी क्लिनिक भी चला रहे थे, ने मृतक बच्चों में से अधिकांश को यह सिरप लिखा था। पुलिस ने उन्हें राजपाल चौक से हिरासत में लिया। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर डॉक्टर को तत्काल निलंबित भी कर दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनी फैक्ट्री से आया था, जहां से राज्य सरकार ने जांच के लिए सैंपल भेजे थे। रिपोर्ट आने के बाद तमिलनाडु ने भी कंपनी के अन्य उत्पादों पर रोक लगा दी।

जांच रिपोर्ट का खुलासा: 48.6% जहर से भरा सिरप

शनिवार देर रात आई लैब रिपोर्ट ने मामले को और गंभीर बना दिया। कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल (बैच नंबर एसआर-13) में डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) की मात्रा 48.6% पाई गई, जो एक घातक रसायन है। यह पदार्थ किडनी को नष्ट कर सकता है और बच्चों जैसे नाजुक शरीरों के लिए जानलेवा साबित होता है। 7 सितंबर से शुरू हुए मामलों में बच्चे पहले सर्दी-खांसी से पीड़ित दिखे, लेकिन जल्द ही यूरिनरी प्रॉब्लम और किडनी फेलियर ने उन्हें लील लिया। छिंदवाड़ा जिला अस्पताल से नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किए गए कई बच्चे वहीं दम तोड़ चुके। अनौपचारिक आंकड़ों में मौतों की संख्या 14 तक पहुंचने की बात कही जा रही है, जिसमें बेटूल जिले के मामले भी शामिल हैं। राज्य सरकार ने एसआईटी गठित कर दी है, जिसमें फॉरेंसिक और मेडिकल विशेषज्ञ जांच करेंगे।

सीएम का आक्रोश: दोषियों को कोई छूट नहीं

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घटना को 'अत्यंत दुखद' बताते हुए कहा, "छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप से बच्चों की मौत बेहद दर्दनाक है। इसकी बिक्री पूरे मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कर दी गई है। कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी रोक लगेगी।" उन्होंने 15 सितंबर को ही प्रतिबंध की घोषणा की थी, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई तेज हो गई। यादव ने राज्य स्तर पर जांच टीम बनाई है और दोषियों को बख्शने की कोई गुंजाइश नहीं बताई। पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा देने की मंजूरी दी गई, जबकि स्थानीय स्तर पर चिकित्सा सहायता जारी है। तमिलनाडु सरकार से समन्वय कर फैक्ट्री पर छापेमारी की योजना है।

विपक्ष का हमला: 50 लाख मुआवजा और अभियान की मांग

कांग्रेस नेता कमलनाथ ने सरकार को घेरते हुए एक्स पर पोस्ट किया, "यह दुर्घटना नहीं, मानव-निर्मित त्रासदी है। मृतक परिवारों को 50-50 लाख रुपये सहायता दें।" उन्होंने बीजेपी सरकार पर कानून-व्यवस्था की विफलता का आरोप लगाया और नकली दवाओं के खिलाफ बड़े अभियान की मांग की। नाथ ने कहा कि कुछ परिवार इलाज के लिए जेब से पैसे दे रहे हैं, इसलिए सभी खर्चे सरकार वहन करे। विपक्ष का यह बयान मुआवजे की राशि पर विवाद पैदा कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञ सहमत हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दवा गुणवत्ता जांच मजबूत होनी चाहिए।

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Report By:
Monika