Oct 5, 2025
शरद पूर्णिमा 2025: चांद की अमृत वर्षा में खीर का जादू, जानें भद्रा से बचने का शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा, हिंदू धर्म का एक ऐसा पर्व है, जो चंद्रमा की सोलह कलाओं और अमृतमयी किरणों के लिए प्रसिद्ध है। इस साल 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को पड़ने वाली शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस रात चांद की रोशनी में खीर रखने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बार भद्रा का साया इस पर्व पर पड़ रहा है, जिसके कारण खीर रखने का मुहूर्त चुनते समय सावधानी बरतनी होगी। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व, भद्रा का समय और शुभ मुहूर्त।
शरद पूर्णिमा की तिथि और महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा 6 अक्टूबर को दोपहर 12:24 बजे शुरू होगी और 7 अक्टूबर को सुबह 9:18 बजे समाप्त होगी। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आभा के साथ अमृत की वर्षा करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी रात महारास रचाया था। चांद की रोशनी में खीर रखकर खाने से भाग्य चमकता है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
भद्रा का समय और सावधानी
इस बार शरद पूर्णिमा पर भद्रा का प्रभाव पूरे दिन रहेगा। भद्रा 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे शुरू होकर रात 10:53 बजे खत्म होगी। भद्रा काल में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता, इसलिए खीर रखने के लिए भद्रा समाप्ति के बाद का समय चुनें। रात 10:53 बजे से 12:09 बजे तक का लाभ-उन्नति मुहूर्त इसके लिए उपयुक्त है।
शरद पूर्णिमा की सावधानियां
इस दिन सात्विक भोजन करें, मांस-मदिरा से बचें। उपवास रखने वाले जलाहार या फलाहार करें। मन में शुद्धता और भक्ति का भाव रखें।