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जल संसाधन विभाग के एक लेटर ने निगम के अफसरों की उड़ाई नींद

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Aug 11, 2018

विनोद शर्मा - ग्वालियर के तिघरा डेम से मोतीझील तक नई पाइप लाइन को जल संसाधन विभाग के अफसर तिघरा डेम के लिए खतरा बता रहे हैं इंजीनियरों ने नगर निगम अफसरों से प्रोजेक्ट का काम कर रही फर्म की शिकायत की है सबसे बड़ी आपत्ति तिघरा डेम से पानी लिफ्ट करने के लिए डाली जा रही 42 करोड़ रुपए की पाइप लाइन व प्लेटफॉर्म की बनावट को लेकर है पाइपलाइन बिछाने के लिए की गई खुदाई के दौरान ठेकेदार फर्म ने डेम का बैंक (किनारा) डैमेज कर दिया है आनन-फानन मे इस मामले की शिकायत जल संसाधन विभाग के लोगों ने सरकार तक से कर दी है क्योंकि निगम ने पहले लाइन डालने की परमिश्न नही ली फिर उसके बाद मनमाने तरीके से लाइन डाली जा रही है।

अटल मिशन फॉर रीजुवेंशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन के तहत किया गया काम

ग्वालियर नगर निगम जलालपुर पर 280 करोड़ रुपए की लागत से 165 एमएलडी के वाटर फिल्ट्रेशन प्लांट का निर्माण प्रस्तावित किया है इस प्लांट में तिघरा से पानी लाने के लिए 20.5 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू किया गया है इस पाइपलाइन का काम अटल मिशन फॉर रीजुवेंशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत योजना) के तहत किया जा रहा है इसका ठेका झांसी की कंक्रीट उद्योग फर्म को दिया गया है इसके लिए ठेकेदार फर्म ने तिघरा के गेट के नजदीक से नहर की खुदाई की और इसमें पाइप बिछाने शुरू कर दिए लेकिन इस दौरान तिघरा की डाउन स्ट्रीम का बैंक डेमेज हो गया जिस पर निगम के अफसर अपनी सफाई देने में लगे हुए है।

जलसंसाधन और नगर निगम के बीच बनी विवाद की स्थिति

 42 करोड़ रूपए के पानी की पाइप लाइन के इस प्रोजेक्ट को लेकर पहले भी जलसंसाधन विभाग और ग्वालियर नगर निगम के बीच विवाद की स्थिति बन चुकी है क्योंकि तिघरा से मोतीझील तक 16 किमी की 98 साल पुरानी ऐतिहासिक नहर है जलसंसाधन विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता यमुना कछार एनपी कोरी ने नहर के बीच पाइप लाइन डालने के लिए शासन से मंजूरी लिए बिना ही निगम को स्वीकृति दे दी थी इससे ठेकेदार फर्म का खुदाई का खर्चा बच जाता बाद में ग्रामीणों के विरोध के बाद ये प्लान रद्द किया गया और पुरानी नहर के बगल से लाइन डालने का निर्णय किया गया लेकिन अब फिर से डेम के खतरें पर विवाद शुरू हो गया है ऐेसे में देखना होगा की पानी की पाइप लाइन कब तक मूल रूप ले पाती है।