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बैतूलः कैंसर से जूझ रहे एक युवक ने तंग आकर की आत्महत्य़ा की कोशिश

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Oct 7, 2019

युवराज गौर – बैतूल में कैंसर से जूझ रहे एक युवक को जब केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना और मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान योजना से कोई मदद नहीं मिली तो उसने जहर पीकर मौत को गले लगाने का प्रयास किया। जहर पीने से पहले खुद का एक वीडियो बना कर रिश्तेदारों को भेज दिया, जिससे लोग उसकी मौत की वजह जान सकें। हालांकि ज़हर पीने के कुछ ही देर बाद युवक को रिश्तेदारों ने डायल 100 की मदद से ढूंढकर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी जान तो बच गई, लेकिन इस घटना ने ज़रूरतमंदों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं की असलियत को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

आत्महत्या से पहले विडियो बनाकार भेजा परिवारजनों को

जिला अस्पताल में जिंदगी के लिए तरस रहे इस युवक का नाम है जानू उबनारे, जो मुलताई थानाक्षेत्र के चिखली गाँव का निवासी है। 6 महीने से कैंसर से जूझ रहे जानू को जब जिंदगी की कोई आस नहीं रही तो इसने मौत को गले लगाने का प्रयास किया। युवक ने शराब में ज़हर मिलाकर पी लिया लेकिन इससे पहले उसने खुद का एक वीडियो बनाया, जिसमें वो आत्महत्या की वजह बता रहा है। वीडियो में युवक कहते दिख रहा है कि उसे कैंसर है और उसे कहीं से मदद नहीं मिल रही है इसलिए वो ज़हर पीकर जान दे रहा है। जैसे ही ये वीडियो युवक के चचेरे भाई के पास पहुंचा तो उसने तत्काल डायल 100 को फोन किया और जानू को खोजना शुरू किया। गाँव से कुछ दूरी पर एक श्मशान के पास जानू बेहोश पड़ा था। जिसे तत्काल जिला अस्पताल लाया गया।  उसकी जान तो बच गई लेकिन वो अब जीने के लिए सरकार से मदद मांग रहा है। सरकार की आयुष्मान योजना हो या मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान योजना, जानू को हर जगह से निराश होना पड़ा।

स्वराज एक्सप्रेस की पहल के बाद अधिकारी हर सम्भव मदद करने का दे रहे आश्वासन

6 महीने पहले जानू को गर्दन में कैंसर बताया गया था। उसे भोपाल मेडिकल कॉलेज भेजा गया। इसके बाद भोपाल के ही जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल में उसकी जांच हुई, लेकिन जब इलाज के खर्च की बात आई तो ना केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना से मदद मिली और ना मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान से। जानू की पत्नी के मुताबिक जब हर योजना के कार्ड बने हैं तो मदद क्यों नहीं मिलती। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को जानू के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन स्वराज एक्सप्रेस की पहल के बाद अधिकारी उसकी हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दे रहे हैं। पोस्टर, बैनरों और नेताओं के भाषणों में लोगों को सपने दिखाती सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ अलग होती है। इसकी वजह योजना नहीं बल्कि योजना को लागू करने वाला सिस्टम है, जिसके चलते जानू जैसे लोग हताश होकर आत्मघाती कदम तक उठा रहे हैं।