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अरबों रुपए की जमीन सरकारी घोषित हो जाने से पूर्व कर्मचारियों में बेहद निराशा

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Oct 3, 2018

धर्मेन्द्र शर्मा - ग्वालियर की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित बिरला ग्रुप की जेसी मिल की अरबों रुपए कीमत की जमीन सरकारी घोषित हो जाने के बाद यहां के पूर्व कर्मचारियों में बेहद निराशा है उनका कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी तो वहीं सीपीएम भी मजदूरो के बाकाया भुगतान को लेकर सरकार से मांग करेगी और अगर फिर भी बात नही बनी तो मजदूरो के पक्ष मे आंदोलन किया जायेगा क्योंकि जेसी मिल की तरह ही इंदौर की हुकुम चंद मिल में कंपनी जज ने संस्थान को मिली जमीन को आखिरकार उसका मालिक घोषित किया था।

मालिकों ने अपनी संपत्ति बेच कर मजदूरों का बकाया भुगतान चुकाया था ठीक इसी तरह ग्वालियर में उल्टा हुआ है हाई कोर्ट ने 28 सितम्बर यानी शुक्रवार को 712 बीघा क्षेत्र में फैली जेसी मिल की जमीन को सरकारी घोषित किया है 26 साल पहले जेसी मिल को दिवालिया घोषित करते हुए उसके मालिकों ने इसे बंद कर दिया था खास बात यह है कि उस समय यहां आठ हजार से ज्यादा मजदूर काम करते थे 26 साल पहले बंद हुई जेसी मिल के मजदूरों का करोड़ों रुपया प्रबंधन पर बकाया है।

जेसी मिल प्रबंधन पर मजदूरों के पैसे के अलावा कई बैंकों का कर्ज़ भी फंसा हुआ है कंपनी जज ने 14 साल पहले अपने फैसले में कहा था कि मिल की संपत्ति प्रबंधन को दी जाए और उसे बेचकर मजदूरों का कर्जा चुकाया जाए हाइकोर्ट के निर्णय के बाद अब मजदूर नेता सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक जाने की बात कह रहे हैं।

उनका कहना है कि सरकार अगर चाहे तो जमीन का एक छोटा सा हिस्सा बेचकर मजदूरो को भुगतान किया जा सकता है 1921 में बिरला ग्रुप में यह कंपनी शुरू की थी तब सिंधिया स्टेट ने उन्हें यहां कारखाना लगाने के लिए यह जमीन दी थी ग्वालियर के आर्थिक समृद्धि में इस मिल का बड़ा योगदान था।