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शुजालपुरः मोहर्रम के 40वें पर हजरत अब्बास अलमदार की दरगाह पर दहकते अंगारों का सफर

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Oct 21, 2019

संतोष राजपूत - मोहर्रम के 40वें पर शुजालपुर के शिवपुरा इलाके में स्थित हजरत अब्बास अलमदार की दरगाह पर दहकते अंगारों की चूल पर हजारों श्रद्धालु आस्था लिए चले। हिन्दूस्तान के विभिन्न प्रांतों में दस स्थानों पर मोहर्रम माह के चालीसवें पर चूल का आयोजन होता है। शुजालपुर इन दस स्थानों में एक है। शुजालपुर एम्आ होने वाले इस आयोजन में आग की तपन, आस्था व श्रद्धा के आगे बोनी लग रही थी। शुजालपुर में निकले चालीसवें के इस जुलूस में युवक ब्लेड व चाकू से खुद के सीने को छलनी कर पीटते हुए चल रहे थे। सीने पर लहू की धार व घाव देखने लोगों की भीड़ आसपास जमा थी। जुलूस शाम 4 बजे शिवपुरा के समीप स्थित दरगाह पर पहुंचा। इसके बाद हजरत अब्बास अलमदार साहब की दरगाह परिसर में अंगारों से तैयार की गई 3 फीट चौड़ी व गहरी तथा करीब 15 फीट लंबी चूल पर दो रकात की नमाज अता की गई। इसके बाद देर रात तक श्रद्धालुओं के निकलने का क्रम चला। लोभान के बाद सबसे पहले उन लोगों को चूल से निकाला गया, जिन पर किवंदती के अनुसार किसी आत्मा का साया याने प्रेत बाधा का असर था। इनके बाद हजारों की तादाद में मौजूद हर धर्म, हर वर्ग के श्रद्धालु भी अंगारों पर निकलकर मन्नत के धागे बांधते देखे गये। स्थानीय पुलिस का बल भी आयोजन के दौरान यहाँ पूरे समय मौजूद रहा।

यह है चूल का महत्व

इस दिन शिया वर्ग के मुसलमान (ईरानी) हजरत अब्बास अलमदार की इस्लाम बचाने के लिए ईराक के कर्बला में हुई शहादत पर मातम मनाते हैं। शिया वर्ग के अनुयायी प्रायश्चित के रूप में मातम करते हुए जुलूस निकालते हैं। इसी मातम के अंतिम चरण में मोर्हरम के पश्चात चालीसवें की रात जलती चूल पर हिन्दू-मुस्लिम हर वर्ग के लोग मनोकामना लिए गुजरते हैं। इस चूल पर बलाओं व चपेट में लेने वाली आत्माओं का खात्मा होता है। लोग मन्नत लेकर दरगाह की दीवार पर चिल्ल (मन्नती धागा) बांधने भी दूर-दूर से आते हैं। मन्नते पूरी होने के बाद इसी पवित्र दरगाह पर चादर व चांदी छत्र चढ़ाने वालों की भी तादाद बड़ी संख्या में होती है। शुजालपुर में ये आयोजन बीते 41 वर्षो से हो रहा है।