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विशेषज्ञों ने इंदौर नगर निगम के सैनिटाइज अभियान पर उठाया सवाल

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Apr 23, 2020

इंदौरः मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना का संक्रमण उम्मीद से भी फैल चुका है। जिसे रोकने के लिए प्रशासन अपनी पूरी ताकत के साथ काम कर रहा है। वहीं, टैंकरों से लेकर ड्रोन तक, इंदौर नगर निगम सार्वजनिक स्थानों को सैनिटाइज करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए हर दिन 75,000 से 1 लाख रुपये प्रति दिन खर्च कर दी है, लेकिन विशेषज्ञों ने इंदौर नगर निगम के इस अभियान पर सवाल उठाया है। दुनियाभर में कोरोना नाम की महामारी फैलने के बाद विशेषज्ञों ने कहा है कि वायरस हवा में नहीं रहता है। इसलिए, सड़क और पेड़ को सैनिटाइज करना सिर्फ पैसे और समय की बर्बादी है।

सैनिटाइजर लोगों में वितरित किया जाना चाहिए

सेंट्रल कोविड टीम के सदस्य डॉ जुगल किशोर ने कहा कि बेहतर परिणाम और समाधान के लिए कई रसायनों से तैयार इस लिक्विड का प्रयोग हमें घरों में फर्श, टेबल, चेयर, हैंडलबार और सीढ़ी की रेलिंग पर की जानी चाहिए। इसे हमलोग बार-बार छूते हैं। उन्होंने यह सुझाव भी दिया है कि शहर में बेतरतीब तरीके से छिड़काव न कर, इसे लोगों में वितरित किया जाना चाहिए। मीडिया से खासतौर पर बात करते हुए इंदौर नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी अखिलेश उपाध्याय ने कहा कि इस काम के लिए स्थानीय निकाय 52 ट्रैक्टर, 16 मिस्ट ब्लोअर्स, 5 प्रेशर जेट्स, 300 हैंड हेल्ड्स मशीन के साथ 19 प्रेशर टैंकर हर दिन 700 लीटर लिक्विड का छिड़काव कर रहे हैं। इस काम में 500 वर्कर्स लगे हैं। इस मामले को लेकर आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस काम में हर दिन 70 हजार से 1 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इंदौर नगर निगम के आयुक्त रजनीश कसेरा के अनुसार बड़े वाहनों का प्रयोग हम लोग घर के बाहरी हिस्सों को सैनिटाइज करने के लिए करते हैं। हैंड हेल्ड मशीन का प्रयोग वाहन और घर के अंदर सैनिटाइज करने के लिए करते हैं।