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कोटा के बाद अब रतलाम में नवजात शिशुओं की मौत का भयानक आंकड़ा, एसएनसीयू में 40 दिन में 61 नवजातों की मौत

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Jan 8, 2020

अमित निगम : रतलाम सरकार द्वारा शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये करोड़ों रूपये खर्च किये जाते हैं लेकिन रतलाम में जिला चिकित्सालय एसएनसीयू में नवजातों की मौत का आंकड़ा चौंकाने वाला है। रतलाम में बीते 40 दिन में 61 नवजात ने दम तोड़ दिया है। बता दें कि, यह आंकड़ा 26 नवंबर से 6 जनवरी के बीच का है। जिन नवजातों की मौत हुई है उनमें से सबसे ज्यादा 21 बच्चे श्वसन संकट सिंड्रोम (सांस लेने में परेशानी) के कारण मरे हैं। इधर, नवजातों की मौत का दूसरा कारण कम वजन है। 1 हजार ग्राम से कम वजन के 15 नवजात ने भी दम तोड़ा है। 

एसएनसीयू में एक महीने में 50 बच्चों की मौत
रतलाम के एसएनसीयू में 1 दिसंबर से 6 जनवरी तक 338 नवजातों को भर्ती किया गया। इनमें से 15 प्रतिशत यानी 53 नवजातों की मौत हो गई है। इस दौरान 23 बच्चों को जान बचाने के लिए इंदौर रेफर कर दिया गया।दिसंबर में 50 बच्चों की मौत एसएनसीयू में हुई है। अप्रैल से अब तक 463 बच्चों ने दम तोड़ा है। यह सिर्फ एसएनसीयू के आंकड़े हैं।

सिविल सर्जन का क्या है कहना ?
सिविल सर्जन के अनुसार अगर किसी माह में कुल भर्ती नवजातों की 15 प्रतिशत तक मृत्यु होती है तो सरकार की गाइड लाइन के अनुसार सही है लेकिन रतलाम में यह आंकड़ा ज्यादा है। मामला संज्ञान में आया है हम इसकी जाँच करवा कर व्यवस्था में सुधार के निर्देश देंगे।

सिर्फ 3 डॉक्टरों की देखरेख के भरोसे नवजात
एसएनसीयू में बच्चों की देखरेख अभी सिर्फ 3 डॉक्टर ही कर रहे हैं। एक डाॅ. जितेंद्र रायकवार ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। इधर, एसएनसीयू प्रभारी ने भी प्रबंधन से एक डॉक्टर की डिमांड की है। तीन शिफ्ट में एक-एक डॉक्टर काम कर रहे हैं, ऐेसे में एक डॉक्टर के अवकाश पर होने से अन्य पर लोड होगा।