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प्रवासी युवकों ने पेश की स्वच्छता की मिसाल, क्वारेंटाइन में कर दी पूरे विद्यालय की सफाई

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May 21, 2020

रामनरेश श्रीवास्तव : ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में जहाँ प्रवासी श्रमिक अव्यवस्थाओं के चलते भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो वहीं चित्रकूट के चौबेपुर गाँव में क्वारेंटाइन किये गए ग्रेटर नोएडा से आए प्रवासी युवकों ने स्वच्छता की एक मिशाल पेश की है। बता दें कि, चौबेपुर के संस्कृत विद्यालय के कमरे गंदगी से सराबोर थे। परिसर में घास और गंदगी फैली हुई थी। 

युवकों ने 14 दिनों में की संस्कृत ​विद्यालय की सफाई
इस हालत को देखकर क्वारेंटाइन प्रवासी युवक विपिन द्विवेदी, रामनारायण तिवारी, रमेश चंद्र पाण्डेय और अनूप द्विवेदी ने शिक्षा के मंदिर के इस परिसर को साफ़ सुथरा बनाने की ठान ली और 14 दिनों में संस्कृत विद्यालय की पुताई, रंगाई, परिसर की साफ़ सफाई कर डाली।

युवकों ने 14 दिन में पूरे परिसर की कर दी सफाई
युवकों ने 14 दिनों के समय का पूरा उपयोग किया और स्कूल परिसर की घास और गंदगी को साफ़ कर डाला। इतना ही नहीं इन युवकों ने विद्यालय में 2 पेड़ भी लगाए हैं। क्वारेंटाइन का वक्त पूरा होने के बाद भी ये युवक रोज परिसर की सफाई करने जाते हैं। पेड़ों में पानी भी डालते हैं। क्वारेंटाइन सेंटर को अपना घर समझकर इन युवकों ने गाँव के ग्रामीणों को सोचने पर मजबूर कर दिया, आज हर कोई इनकी तारीफ़ कर रहा है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ भी प्रवासी श्रमिकों को क्वारेंटाइन किया गया है, हर जगह श्रमिक प्रशासन की व्यवस्थाओं को कोसते नजर आ रहे हैं, लेकिन इन युवकों ने जो कर दिखाया वो ऐसे श्रमिकों के लिए भी एक बड़ा सबक है।

क्वारेंटाइन के समय का किया सदुपयोग
युवकों का कहना है कि, जब हम यहां रुकने आए तो विद्यालय की हालत देखकर बड़ा दुख हुआ। तभी हमने ठान लिया कि इस विद्यालय को हम साफ सुथरा बनाएंगे और हम जुट गए। कमरों की सफाई, धुलाई की। परिसर से गोबर, गंदगी, कीचड़ और आवारा पशुओं के मल मूत्र को साफ किया और अंदर कमरों से लेकर बाहर तक पूरे विद्यालय की हमने पुताई भी की। इस तरह से क्वारेंटाइन वक्त का 14 दिनों का समय भी आसानी से कट गया और समय का सदुपयोग भी हुआ और हमारा विद्यालय भी साफ सुथरा हो गया।