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स्वास्थ्यकर्मियों को बचाने की मुहिम में जुटी सरकार, जारी किया अध्यादेश

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Apr 22, 2020

नई दिल्ली: केंद्र सरकार कैबिनेट ने इन दिनों स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रहे हमलों के मद्देनजर उनकी सुरक्षा को लेकर एक अध्यादेश लाई है। यह अध्यादेश इन मामलों को संज्ञेय और गैर-जमानती बताएगा और इसके अंतर्गत आने वालेको अधिकतम 7 साल तक की जेल है। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अध्यादेश को बुधवार को अपनी मंजूरी दी। महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करके अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों को हुई चोटें, संपत्तियों को पहुंचे नुकसान की भरपाई के लिए जुर्माने का प्रावधान है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश की उद्घोषणा के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। बता दें कि अध्यादेश के अनुसार, स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों के ऊपर हमला करने या उसमें सहयोगी होने पर 3 महीने से लेकर 5 साल तक की कैद हो सकती है। साथ ही आर्थिक दंड 50 हजार रुपये से दो लाख रुपये के बीच होगा। वहीं, अगर स्थिति और ज्यादती होने पर मतलब कि अगर स्वास्थ्यकर्मियों को गंभीर चोट पहुंचती है तो अपराधी को छह माह से सात साल तक जेल काटनी पड़ेगी। उसे आर्थिक दंड के रूप में 1-5 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने बताई थी बात

अध्यादेश में ये भी बात है कि सिर्फ ऊपर बताए प्रावधान के अलावा और भी कई कड़े प्रावधान हैं। अपराधी को पीड़ित को व्यक्तिगत नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देना होगा। साथ ही संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के एवज में उस संपत्ति के बाजार मूल्य का दोगुना भुगतना होगा। बता दें कि कैबिनेट बैठक के बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि सरकार डॉक्टरों और नर्सों पर हमला सहन नहीं करेगी। अध्यादेश में ये भी बात है कि सिर्फ ऊपर बताए प्रावधान के अलावा और भी कई कड़े प्रावधान हैं। अपराधी को पीड़ित को व्यक्तिगत नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देना होगा। साथ ही संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के एवज में उस संपत्ति के बाजार मूल्य का दोगुना भुगतना होगा। बता दें कि कैबिनेट बैठक के बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि सरकार डॉक्टरों और नर्सों पर हमला सहन नहीं करेगी।

जावड़ेकर ने बताया कि बुधवार की सुबह गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्‍थ्‍य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी। उस दौरान डॉक्टरों ने मांग की थी कि इस विकट स्थिति में उनकी सुरक्षा के लिए सरकार कानून लाए। गृह मंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि एनएसए, आईपीसी, सीआरपीसी होने के बावजूद भी यह अध्यादेश लाने का फैसला किया गया है।