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नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत भारत आने के प्रमाण के साथ शरणार्थियों को देना होगा धर्म का प्रमाण

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Jan 28, 2020

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत आवेदन करने वालों के नियमावली का निर्माण कर लिया है। ऐसे में जो नियम केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बनाए हैं उसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने के प्रमाण के साथ धर्म का प्रमाण भी देना होगा। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट में गृह मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि आवदेक के पास 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने का भारत सरकार द्वारा जारी दस्तावेज देना होगा। इसके साथ ही उसे यह भी बताना होगा कि वह किस धर्म से ताल्लुक रखता है। हिंदू, सिक्ख, ईसाई, पारसी या जैन उसकी इनमें से जिस धर्म में आस्था है उसे उसका प्रमाण भी प्रस्तुत करना होगा।

सीएए भारत के पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित

उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति ने अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया है तो उस महिला या पुरुष ने अपने धर्म का जिक्र दाखिले के दौरान किया होगा। यदि किसी व्यक्ति ने 31 दिसंबर 2014 से पहले आधार हासिल किया है तो उसने सीएए कानून में दाखिल किए गए छह धर्मों में से किसी एक का जिक्र किया है तो उसे धर्म के सबूत के रूप में भारत सरकार मान्य करेगी। इसके साथ ही किसी भी तरह का सरकारी दस्तावेज जिसमें धर्म का जिक्र हो वो मान्य होगा। सीएए भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन धार्मिक अल्पसंख्यकों भारतीय नागरिकता देने से संबंधित है जिन्होंने भारत में 31 दिसंबर 2014 से पहले शरण ली है। इन देशों के वो ही लोग भारतीय नागरिकता हासिल करने के पात्र हैं जो हिंदू, सिक्ख, ईसाई, पारसी, जैन या बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। इन समुदाय के लोगों को अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।