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खुद को जिन्दा साबित करने, भटक रहा 80 साल का बुजुर्ग

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Nov 10, 2016

जांजगीर। बनारी गांव के 80 साल का बुजुर्ग खुद को जिन्दा साबित करने के लिए दरबदर की ठोकरे खा रहा है। इस बुजुर्ग को उनके भतीजे ने राजस्व रिकार्ड में मृत साबित कर खुद को वारिस बनाकर, करोड़ों की संपत्ति हड़प ली है, और एक-एक कर उनकी संपत्ति को बेच रहा है। मामले की शिकायत एक साल पहले कलेक्टर और एसपी से की गई थी, लेकिन मामले में बुजुर्ग को न्याय नहीं मिल सका है। साल भर से 80 साल का बुजुर्ग दफ्तरों के चक्कर काटने मजबूर हैं। यहां तक कलेक्टर जनदर्शन में भी कई बार शिकायत की गई है, लेकिन कोई अफसर उनकी गुहार नहीं सुन रहा है। ऐसी स्थिति में बुजुर्ग और उनके परिवार को मुफलिसी में दिन भी गुजारा करना पड़ रहा है। यहां तक बुजुर्ग को खुद को जिंदा साबित करने के लिए चप्पलें घिंसनी पड़ रही है, लेकिन बुजुर्ग की बेबसी पर कोई अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मामले को जांजगीर के एसडीएम के संज्ञान में लाने पर उन्होंने राजस्व रिकॉर्ड की जांच करने की बात कही है।

जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे बनारी गांव निवासी दामोदर प्रसाद शर्मा करीब 80 वर्ष के हैं, मगर उन्हें उम्र के अंतिम पड़ाव में खुद को जिन्दा साबित करने की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। दरअसल, दामोदर प्रसाद शर्मा को उनके भतीजे कृष्ण कुमार ने राजस्व रिकार्ड में मृत घोषित करा, खुद को उनका वारिस साबित कर करोड़ों की संपत्ति हथिया ली है, जबकि दामोदर प्रसाद के तीन पुत्र हैं, वहीं दामोदर प्रसाद के पास अपनी संपत्ति के पुख्ता कागजात भी मौजूद हैं। पीड़ित बुजुर्ग दामोदार प्रसाद के द्वारा राजस्व विभाग से वर्ष 2009 में निकाली गई नकल की कॉपी में उनकी संपत्ति का ब्यौरा भतीजे के नाम पर दिखाया जा रहा है और उसे विरासतन हक से जमीन मिलना बताया जा रहा है।

- दामोदार प्रसाद बताते हैं कि वर्ष 2008 में उनके भाई ननकीराम की मृत्यु हुई और उनके वारिसों ने फौती काटने तथा जमीन नामांतरण करने का आवेदन लगाया था। उसके बाद जब नकल निकलवाया गया, तब यह साजिश सामने आई। इस बात से दामोदर प्रसाद और उनके तीन पुत्र सकते में हैं और परेशान हैं। साथ ही अपना अस्तित्व साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने प्रशासन से हर स्तर पर गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कार्रवाई कुछ भी नहीं हो सकी है। साल पहले की गई शिकायत पर कोई जांच नहीं हो सकी है। 80 साल की उम्र में बुजुर्ग को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। किसी भी अधिकारी को इस बुजर्ग पर दया तक नहीं आती, जबकि बुजर्ग के पास संपत्ति के कागजात हैं, फिर भी अधिकारियों ने बुजुर्ग की शिकायत को रद्दी में डाल दिया, तभी तो अभी तक कोई जांच और कार्रवाई नहीं हो सकी। हालांकि, अब जब मामले को लेकर जांजगीर एसडीएम अजय उरांव के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने राजस्व रिकार्ड की जांच कराने की बात कही है।

पीड़ित दामोदर प्रसाद, खुद को जिन्दा साबित करने की कोशिश में उम्र के अंतिम पड़ाव में सरकारी दफ्तरों की ठांेकरे खा रहे हैं, मगर सालों से उनके लाख प्रयासों के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता समझ से परे है। समझा जा सकता है कि किस तरह लालफीताशाही हावी है ? जांजगीर एसडीएम ने मामले में जांच कर कार्रवाई की बात कही है। अब देखने वाली बात होगी, मामले में कब तक जांच होती है और क्या कार्रवाई होती है ? या फिर बुजुर्ग को अभी दफ्तरों के चक्कर काटकर और चप्पलें घिंसनी पड़ेगी।

                                                                                 - जांजगीर से एक्सप्रेस रिपोर्टर कुंजबिहारी साहू