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मातृत्व दिवस पर यशोदा जैसी मां को सलाम

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May 13, 2018

जहां समाज मे विकलांगता को कमजोरी समझा जाता है वही सूरजपुर के दुरस्थ गांव खोपा में एक विकलांग मां ने विकलांगता और गरीबी से लड़ते हुए शिक्षक बनी और अपने बच्चों और गांव के बच्चो को शिक्षित कर उनका भविष्य बनाने मे डटी हुई है।

सूरजपुर के खोपा गांव मे दोनो पैरो से विकलांग यशोदा आज गांव के ही शासकिय माध्यमिक स्कुल मे प्रधानपाठक कि पद पर पदस्थ है जहां वे गांव के बच्चों को पिछले 27 सालो से शिक्षा दे रही है वही यशोदा खोपा जैसे छोटे से गांव मे जीद कर कई किलोमीटर दूर बचपन मे अपने मां के मदद से पढ़ाई को पुरा किया और शिक्षिका बनी।

गरीबी का दिन काट रहे यशोदा कि मां तो यशोदा के पढ़ाई के दिनो मे ही गुजर गई लेकिन यशोदा ने हार नही माना और उसने पढ़ाई को पुरा किया वहीं यशोदा शिक्षिका बन कर गांव के बच्चो को शिक्षित करना शुरु कर दिया जहां किसान पति के साथ मिलकर आर्थीक स्थिति को सुधारा और यशोदा ने अपने बच्चो को उच्च शिक्षा देने का ठान लिया जहां यशोदा कि दो लड़कियां है।

जिन्हे वे डॉक्टर बनाने का सपना लेकर परवरिश दे रही है वहीं गांव में भी बच्चों को पढ़ाने के लिए पुरा समय देती है यशोदा कि विकलांगता जहां कभी भी यशोदा का रास्ता नही रोक पाई वही यशोदा कि बेटी मंजु प्रथम श्रेणी मे बारहवी कक्षा उत्तीर्ण कर भिलाई मे प्री मेडिकल टेस्ट कि तैयारी मे जुटी हुई है।

वही मंजु अपनी मां को अपना आदर्श मानती है और अपने जीवन मे अपने मां का सपना पुरा कर गांव मे ही रहकर अपनी मां की सेवा करना चाहती है समाज मे जहां विकालंगता से लोग हार मान जाते है वही यशोदा जैसी मां ही समाज मे एक मिसाल कायम कर लोगो का हौसला बुलंद करती है मातृत्व दिवस पर यशोदा जैसी मां को सलाम