Sep 11, 2025
बस्तर में औद्योगिक और कृषि विकास की नई लहर
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और परियोजनाओं की शुरुआत हो रही है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही हैं। एग्रीटेक से लेकर पर्यटन और स्वास्थ्य तक के क्षेत्रों में ये पहलें क्षेत्रीय विकास को गति देंगी, साथ ही किसानों और उद्यमियों को लाभ पहुंचाएंगी। नई औद्योगिक नीति के तहत ये प्रयास संतुलित विकास सुनिश्चित कर रहे हैं।
एग्रीटेक, वेलनेस और डेयरी सेक्टर में प्रगति
नारायणपुर जिले में पार्श्वा एग्रीटेक द्वारा 2,400 टन परबॉयल्ड चावल का उत्पादन शुरू किया जाएगा, जिसमें 8 करोड़ रुपये का निवेश होगा। यह परियोजना बस्तर की कृषि उपज को मूल्यवर्धन प्रदान करेगी। जगदलपुर में नमन् क्लब एंड वेलनेस सेंटर 7.65 करोड़ रुपये के निवेश से 30 रोजगार सृजित करेगा। पर्यटन क्षेत्र में एएस बिल्डर्स एंड ट्रेडर्स तथा सेलिब्रेशन रिजॉर्ट्स एंड होटल्स बस्तर की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देंगे। बस्तर डेयरी फार्म प्रा. लि. 5.62 करोड़ रुपये का निवेश कर दुग्ध उत्पादन को मजबूत करेगा, जिससे ग्रामीण आय में वृद्धि होगी। निर्माण सामग्री में पीएस ब्रिक्स और महावीर माइन्स एंड मिनरल्स ईंट तथा स्टोन क्रशर इकाइयां स्थापित करेंगी। वेयरहाउसिंग और कोल्ड स्टोरेज परियोजनाएं, जैसे दंतेश्वरी कोल्ड स्टोरेज, किसानों की उपज को सुरक्षित रखेंगी। वुड और फर्नीचर क्षेत्र में माँ दंतेश्वरी वेनियर्स तथा अली फर्नीचर पारंपरिक कारीगरी को बाजार से जोड़ेंगी। शंकरा लेटेक्स इंडस्ट्रीज 40 करोड़ रुपये के निवेश से सर्जिकल ग्लव्स उत्पादन शुरू करेगी, जो 150 रोजगार पैदा करेगी।
सरकारी योजनाओं और औद्योगिक नीति का योगदान
पीएमएफएमई योजना के तहत कांकेर, बस्तर और कोंडागांव जिलों में उद्यमियों को 49.50 लाख रुपये से अधिक की सहायता दी गई, जिसमें फूड प्रोसेसिंग और गृह उद्योग शामिल हैं। पीएमईजीपी योजना से 94.50 लाख रुपये वितरित किए गए, जो गारमेंट्स, हार्वेस्टर और मोबाइल रिपेयरिंग जैसे क्षेत्रों में मदद कर रही है। छत्तीसगढ़ औद्योगिक नीति 2024–30 बस्तर में निवेश को प्रोत्साहित कर रही है, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली परियोजनाओं को विशेष लाभ मिलेंगे। फार्मा, एग्रो-प्रोसेसिंग और पर्यटन को प्राथमिकता दी गई है, साथ ही एससी/एसटी उद्यमियों को अतिरिक्त सब्सिडी। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिला है, जिसमें 45% तक सब्सिडी उपलब्ध है। ये प्रयास बस्तर की जनजातीय धरोहर को संरक्षित रखते हुए विकास सुनिश्चित करेंगे।