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मध्यप्रदेश में खुलेंगे 11 नए सरकारी आयुर्वेद कॉलेज, बढ़ेंगी 1100 सीटें

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Mar 19, 2024

आयुष संचालनालय ने लिखा कलेक्टर्स को जमीन आवंटन के लिए पत्र

भोपाल। मेडिकल कॉलेजों की तर्ज पर अब प्रदेश में आयुर्वेद कॉलेजों की संख्या बढ़ेगी। जैसे जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना सरकार ने तैयार की है ठीक वैसे ही हर जिले में आयुर्वेद कॉलेज पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत आयुष संचालनालय की आयुक्त सोनाली पोंक्षे वायंगणकर ने 11 जिलों के कलेक्टर्स को पत्र लिखकर आयुर्वेद कॉलेजों के लिए जमीन आवंटित करने की बात कही है। अपने पत्र में आयुष संचालनालय आयुक्त ने लिखा है कि आयुर्वेद कॉलेज खोलने के लिए कम से कम 5 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। इसलिए भारतीय चिकित्सा पद्धति के अनुसार कॉलेज खोलने के लिए जमीन की आवश्यकता है, जिसमें छात्र-छात्राओं के अलावा रोगियों के लिए भी बेहतर इंतजाम किया जा सके।

इन जिलों में खुलेंगे कॉलेज

राज्य सरकार ने प्रदेश में आयुर्वेद शिक्षा का बढ़ावा देने के लिए सागर, नर्मदापुरम, शहडोल, धार, झाबुआ, मंडला, बालाघाट, मुरैना, सुजालपुर जिला शाजापुर, श्योपुर, खजुराहो जिला छतरपुर में नए आयुर्वेद कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है।

अभी इन जिलों में हैं सरकारी आयुर्वेद कॉलेजः भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, बुरहानपुर, इंदौर, रीवा तथा 1 यूनानी कॉलेज भोपाल में संचालित है।

स्टॉफ की प्रतिनियुक्ति और स्थानांतरण नहीं कर सकेगी सरकार

निरीक्षण के समय आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता बचाने के लिए अक्सर आयुष संचालनालय कुछ समय के लिए स्टाफ की प्रतिनियुक्ति और ट्रांसफर करता है। लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकेगा। क्योंकि दिल्ली के आदेश ने इस व्यवस्था पर रोक लगा दी है। जानकारी अनुसार मेडिकल असिस्मेंट एण्ड रेटिंग बोर्ड फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन नई के अध्यक्ष डॉ रघुराम भट्ट ने आदेशपत्र जारी किया है कि अब अपनी आवश्यकता के अनुसार एक ही शैक्षणिक सत्र वर्ष में अपने संकाय अथवा टीचिंग फैकल्टी व चिकित्सकीय स्टॉफ की एक शासकीय कॉलेज से दूसरे शासकीय कॉलेज में कुछ समय के लिये प्रतिनियुक्त नहीं हो सकेगी। स्टॉफ को नियमित नियुक्त करना होगा। आपको बता दें कि आयुष कॉलेजों में प्रतिवर्ष ही भारतीय चिकित्सा पद्दति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) निरीक्षण करता है और रिपोर्ट्स के आधार पर ही केंद्रीय आयुष मंत्रालय प्रतिवर्ष मान्यता प्रदान करता है। केवल मान्यता पाने के लिये निरीक्षण के वक्त आयुष विभाग एक से दूसरे कुछ सरकारी आयुष कॉलेजों में जहां कमी है टीचिंग और हॉस्पिटल स्टॉफ का स्थानान्तरण या प्रतिनियुक्ति कर काम निकाल लेते हैं और जैसे ही मान्यता मिल जाती है फैकल्टी को वापस मूल कॉलेज में बुला लिया जाता है। इससे मान्यता तो मिल जाती है लेकिन शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। छात्रों को पर्याप्त सभी विषयों के शिक्षक न मिलने से अध्ययन-अध्यापन में कमी रह जाती है।

Report By:
ASHI SHARMA