Feb 27, 2019
बलवन्त भट्ट- मध्य प्रदेश के मंदसौर नीमच रतलाम क्षेत्र में इन दिनों अफीम पक गई है, जिसमें से अफीम निकालने का काम चल रहा है। यहां के अफीम किसानों के सामने पहले तो मौसम की मार से अफीम को नुकसान हुआ और उसके बाद अफीम खाने वाले तोतों से किसानों को भारी दिक्कत आ रही है। अफीम खाने के शौकीन यह तोते इतने शातिर है कि सुबह से लेकर शाम तक अफीम पर मंडराते रहते हैं और मौका मिलते ही बड़ी फुर्ती से अफीम को तोड़कर उसे अपनी चोच में दबाकर उड़ जाते हैं और बड़े मजे से अफीम खाते रहते हैं। अफीम किसानों के लिए अफीम की एक एक बूंद काफी कीमती रहती है। ऐसे में इन अफीमची तोतों की वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। यह तोते इतने शातिर हैं और अफीम छुड़ाने में इतने एक्सपर्ट भी बन गए हैं कि किसान की नज़र झुकते ही यह अपनी चोंच की सफाई दिखा जाते हैं।
तोतों से छुटकारा पाने का किसानों के पास कोई समाधान नहीं
अफीम के एक डोडे में कम से कम लगभग 20 से 25 ग्राम अफीम तो निकलती ही है। ऐसे में यह नशेड़ी तोते दिन भर में 30 से 40 बार अफीम चुराते हैं जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। इन अफीम खाने के शौकीन तोतों का इतिहास अफीम की पैदावार के समय से ही है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। इन तोतों से निपटने के लिए किसान और उनका परिवार दिनभर खेतों की रखवाली करता है। जालियां लगाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, आवाज़ लगाते हैं लेकिन बावजूद इन सारे प्रयासों के यह तोते बड़ी शातिरता से अफीम चुराने में सफल हो ही जाते हैं। किसानों का कहना है कि इन तोतों से छुटकारा पाने के लिए कोई समाधान नहीं है। वन विभाग को पहले नीलगाय से होने वाले नुकसान के बारे में बताया था। दोनों ने कुछ नहीं किया। अब ऐसे में तोतों से होने वाले नुकसान के बारे में वह क्या सुनेंगे। मंदसौर, नीमच, रतलाम क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा किसानों को अफीम की खेती करने के लाइसेंस दिए जाते हैं। इस बार अफीम की खेती में ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में इन अफीमची तोतों के कारण अफीम किसानों की चिंता और बढ़ गई है।








