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नेचुरल तरीके से पके हुए आमों की खुशबू से महका नाबार्ड परिसर: ‘आम महोत्सव 8.0’ की शुरुआत, शुगरफ्री सुंदरजा और भारीभरकम नूरजहां आम बने आकर्षण

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Jun 10, 2025

नेचुरल तरीके से पके हुए आमों की खुशबू से महका नाबार्ड परिसर: ‘आम महोत्सव 8.0’ की शुरुआत, शुगरफ्री सुंदरजा और भारीभरकम नूरजहां आम बने आकर्षण

भोपाल। राजधानी के बिट्टन मार्केट स्थित नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में ‘राज्य स्तरीय आम महोत्सव 8.0’ की शुरुआत हो गई है। यह आयोजन 14 जून तक चलेगा। महोत्सव में मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों से लाए गए 30 टन से अधिक आम प्रदर्शित और बिक्री के लिए रखे गए हैं। खास बात यह है कि सभी आम प्राकृतिक और रसायनमुक्त तरीके से पके हैं।

नूरजहां आम बना आकर्षण का केंद्र

इस बार आलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र से लाया गया ‘नूरजहां’ आम खास आकर्षण बना हुआ है। 1.1 किलो से अधिक वज़न वाले इस आम की कीमत करीब 2,000 रुपए प्रति किलो है। आमतौर पर यह सिर्फ प्रदर्शन के लिए रखा जाता था, लेकिन इस बार बिक्री के लिए भी रखा गया है। इसकी खेती चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि हल्की हवा में भी भारी फल गिर सकता है।

शुगर मरीजों के लिए सुंदरजा आम

रीवा जिले के गोविंदगढ़ क्षेत्र से GI टैग प्राप्त सुंदरजा आम भी मौजूद है। यह फाइबर-फ्री और कम शुगर कंटेंट (करीब 12% कम) वाला आम है, जो शुगर मरीजों के लिए उपयुक्त माना जाता है। रीवा से आए कृषक आशीष मिश्रा ने बताया कि यह आम स्वाद और खुशबू में खास होता है और इसकी खासियत वहां की जलवायु में है।

राजापुरी आम: बड़ा आकार, लंबी शेल्फ लाइफ

अलीराजपुर से आए कैशाल ने बताया कि वह ‘राजापुरी’ किस्म का आम लेकर आए हैं। यह आम आकार में बड़ा, रेशे रहित और लंबे समय तक खराब नहीं होता है। स्वाद में यह पूरी तरह मीठा होता है।

ये किस्में भी हैं महोत्सव में शामिल

मल्लिका: नीलम और दशहरी के संयोग से बना यह खट्टा-मीठा आम शहडोल क्षेत्र में उगाया जाता है।

आम्रपाली: नीलम और मल्लिका की ग्राफ्टिंग से बना आम, उत्तरप्रदेश में लोकप्रिय।

मालदा: कम गुठली वाला, ज्यादा पल्प और पूरी तरह मीठा स्वाद।

अन्य किस्में: दशहरी, केसर, चौसा, लंगड़ा, तोतापरी, नारंगी, सिंदूरी और राजापुरी।

उद्देश्य: वाड़ी से थाली तक

नाबार्ड की चीफ जनरल मैनेजर सी. सरस्वी ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य वाड़ी परियोजनाओं से जुड़े आदिवासी परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और विपणन कौशल को बढ़ावा देना है। यह महोत्सव ‘वाड़ी से थाली तक’ की अवधारणा को साकार करता है।

Report By:
Monika