Jan 10, 2023
प्रवासी भारतीय सम्मेनल का आज आखिरी दिन
17वें प्रवासी भारतीय दिवस के तहत इंदौर में चल रहे सम्मेलन का आज तीसरा और अंतिम दिन है। कल से दो दिनी इंवेस्टर्स समिट शुरू होगी। आज अपरांह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कार्यक्रम में शामिल होने इंदौर में पहुंच गई हैं। वे विदाई भाषण के साथ ही मेहमानों को प्रवासी भारतीय अवॉर्ड प्रदान करेंगी। यह पुरस्कार विदेश में भारत के बारे में बेहतर समन्वय बनाने, भारत की उपलब्धियों का समर्थन करने और भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले प्रवासी भारतीय और उनके संगठन और संस्था को दिए जाते हैं। वे समापन समारोह से पहले सूरीनाम गणराज्य के राष्ट्रपति चनद्रिका प्रसाद संतोखी और गुयाना गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली से भेंट करेंगी। वहीं आज के अंतिम सत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया संबोधित करेंगे।
इससे पहले महिला प्रवासियों के लिए हुए दूसरे सेशन में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- भारत ग्लोबल ग्रोथ का सबसे पावरफुल इंजन है। पिछले साल की तरह इस साल भी हमारी इकॉनॉमी सबसे तेजी से बढ़ेगी। जो निवेशक चीन में निवेश करना चाहते हैं, वे भारत को बड़े प्लेटफॉर्म के रूप में देख सकते हैं। चाइना प्लस वन कंट्री के रूप में भारत को देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह ईयर ऑफ मिलेट्स है। रागी, चावल, बाजरे से हम स्वस्थ भारत का निर्माण कर रहे हैं। भारत वसुधैव कुटुम्बकम की थीम पर आगे बढ़ रहा है। अमृत महोत्सव के अमृतकाल में हिस्सा लीजिए। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा फिर विश्व गुरु बनेंगे पर सैन्य शक्ति से नहीं, इंटलेक्चुअल ताकत से बनेंगे। खाड़ी देशों के बड़े उद्योगपति और लूलू ग्रुप के चेयरमेन युसूफ अली ने कहा- हमारा तन, मन और धन सब हिंदुस्तान में है।
विश्वगुरू बनेंगे मगर ताकत से नहीं
पहले सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्किल डेवलपमेंट और की बात करते हैं तो हमारी बातों | विश्वगुरू बनेंगे मगर ताकत से नहीं में सैन्य तारत से विचार व इंटरप्रिन्योरमंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की चौथी सदी में ही उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने ग्रहों की गणना कर दी थी। वाराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य जैसे विद्वानों ने ग्लोबल मैप की परिकल्पना कर ली थी। ये हम सब मानते हैं, भारत विश्वगुरु था। हम अब जब भी विश्वगुरु बनने बनने की बात करते हैं कहीं नहीं होती। इसमें इंटलेक्नुअल ताकत की बात करते हैं। इस सोच से नवाचार आता है आप सब अनुभव करते होंगे कि दुनिया के कुछ हिस्सों में कुछ उत्पादकों के उत्पाद अप टू मार्क नहीं होते। ऐसे में इस 21 वीं सदी में हमारा रोल महत्वपूर्ण हो जाता है।








