Apr 21, 2020
महाराष्ट्रः महाराष्ट्र के पालघर में संतों की निर्मम हत्या को लेकर पूरे देश की सियासत गरमा गई है। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर उद्धव सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। इस बीच इस मामले में नया मोड़ आ गया है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने एक ट्वीट करते हुए घटना के समय एक एनसीपी और तीन सीपीएम नेताओं के वहां मौजूद होने की बात कही है। सुनील देवधर के इस ट्वीट के बाद भाजपा और हमलावर हो गई है और मॉब लिंचिंग की इस घटना को एक बड़ी गहरी राजनीतिक साजिश करार दिया है। विहिप ने भी इस मुद्दे को लेकर वामपंथियों की घेराबंदी की है।
देवधर ने किया एनसीपी व सीपीएम के चार नेताओं के नाम का जिक्र
दरअसल इस मामले में नया मोड़ तब आया जब भाजपा नेता सुनील देवधर ने एक ट्वीट के जरिए आरोप लगाया कि घटना के समय वहां एनसीपी का एक जिला पंचायत सदस्य और सीपीएम के तीन पंचायत सदस्य भी मौजूद थे। उन्होंने इन चारों के नाम का भी खुलासा किया है। देवधर ने अपने ट्वीट में लिखा कि स्थानीय लोगों के अनुसार वह शख्स शरद पवार की पार्टी एनसीपी का जिला पंचायत सदस्य काशीनाथ चौधरी है। उसके साथ सीपीएम के पंचायत सदस्य विष्णु पात्रा, सुभाष भावर और धर्मा भावर भी वहीं पर मौजूद थे।
घटना महाराष्ट्र सरकार के माथे पर कलंक
इस बीच कमी कवि कुमार विश्वास ने इस घटना को महाराष्ट्र सरकार के माथे पर कलंक बताया है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की धरा पर मित्रता और शत्रुता से ऊपर उठ चुके साधुओं को अगर उन्मादी भीड़ घेरकर मार दे तो यह उस धारा की ऐतिहासिक परंपरा पर धब्बा ही है। उन्होंने कहा कि यह वह धरा है जहां पर शत्रु पक्ष की महिलाओं तक को आदर दिया जाता है। कुमार विश्वास ने मांग की कि इस निर्मम घटना में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
कांग्रेस ने राजनीति करने का लगाया आरोप
वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा पालघर की घटना को लेकर राजनीति कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि मुझे लगता है कि भाजपा हमारे समाज के इतिहास में बहुत ही विचलित कर देने वाली राजनीति कर रही है। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के कई नेताओं ने भी कहा कि भाजपा इस मामले को नाहक तूल दे रही है। उद्धव सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस घटना में शामिल सारे आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने की तैयारी है। फिर भी भाजपा इस हत्याकांड को लेकर घटिया राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है।