Jul 2, 2024
· 1 जुलाई से लागू किए गए नए अपराधिक कानून
· जीरो एफआईआर सहित कई बदलाव किए जारी
· महिलाओं- बच्चों के लिए यह सुविधा उपलब्ध
भारत सरकार के द्वारा एक बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसे किसी भी भारतीय को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जी हाँ आज से भारत के अपराधिक कानून में बेहद जरूरी बदलाव किए गए हैं। बता दें कि 1 जुलाई यानि आज से नए अपराधिक कानून लागू किए जा चुके हैं। जिसमें आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता,सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और बाकी अन्य कानून के अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनयम कर दिया गया है। सबसे पहले इस कानून के बदलाव का प्रस्ताव 12 दिसंबर 2023 को किया था। वहीं इसके लागू होने की घोषणा 24 फरवरी, 2024 को की गई थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे। चलिए जानते हैं इन तीन अपराधिक कानूनों के मुख्य बदलाव
न्यायधीश को करना होगा अब इस अवधी में फैसला
FPJ की रिपोर्ट के मुताबिक, अब न्यायधीश को ट्रायल सुनाने के 45 दिन बाद ही फैसला सुनाना अनिवार्य कर दिया गया है।साथ ही 60 दिन के अंदर कार्यवाही पर चार्ज फ्रेम करना भी आवश्यक है।
कर सकेंगे अब कहीं से भी एशआईआर
नए क्रिमिनल लॉ के तहत, जीरो एफआईआर कर सकते है जिससे आप किसी भी थाने में देशभर में कहीं भी हुए अपराध की FIR दर्ज करा सकते हैं। इससे FIR दर्ज कराने में आने वाली तमाम रुकावटों से छुटकारा मिल सकेगा । बता दें कि मौके पर मौजूद अधिकारी जीरो एफआईआर रजिस्टर करेगा फिर पुलिस अधिकारी उस FIR को संबंधित थाने में भिजवाएंगे, वहां पर यह रेगुलर FIR की तरह दर्ज की जाएगी।नए कानूनों के जरिए, पीड़ितों को एफआईआर की मुफ्त कॉपी भी उपलब्ध कराई जाएगी।
आरोपी को भी अब अधिकार
न केवल यह, लेकिन नए कानून ने आरोपियों को भी कुछ अधिकार प्रदान करते हैं जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, उसे अपनी मर्जी के व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी के बारे में बताने का भी अधिकार दिया गया है।
होगी फॉरेंसिक जाँच जरूरी
गंभीर अपराधों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का मौके पर जाना अनिवार्य बना दिया गया है, सबूतों से छेड़छाड़ को रोकने के लिए मौके की वीडियोग्राफी को भी सुनिश्चित किया गया है।
ई- एफआईआर की सुविधा उपलब्ध
साथ ही अब नए कानूनों के अंतर्गत ई- रिपोर्ट भी दर्ज किए जा सकते हैं, इसके लिए आपका खुद थाने जाना जरूरी नहीं होगा। साथ ही अब व्यक्ति को समन भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे जा सकेंगे। अदालतों को सुनवाई में बेवजह देरी से रोकने के लिए अधिकतम दो बार स्थगन की ही अनुमति होगी। राज्य सरकार गवाहों की सुरक्षा के लिए से योजनाएं भी लाऐंगी।
महिलाओं और बच्चों के लिए होगी यह जरूरी
नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जाँच भी दो महीने के जांच पूरी करनी होगी. पीड़ितों को 90 दिन के भीतर केस से जुड़ी रेगुलर अपडेट्स पाने का हक होगा और मुफ्त अस्पतालों में मुफ्त फर्स्ट-एड या मेडिकल इलाज की गारंटी भी दी गई है. यौन हिंसा के मामले में भी कुछ बदलाव किए गए हैं जैसे अब पीड़ित का बया लेना जरूरी कर दिया गया है और यौन उत्पीड़न के मामले में बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी जरूरी कर दी गई है।