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बलरामपुरः दृष्टिहीन राकेश ने सीबीएसई 12वीं बोर्ड में 82 प्रतिशत अंक हासिल कर किया मिसाल कायम

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May 11, 2019

सुनील पासवान- साधारण सी जिंदगी की लड़ाई लड़नी ही लोगों को बड़ा कठिन लगता है, ऐसे में उनकी सोचिए जिन्हें ईश्वर ने कुछ चीज़ों का सुख नहीं दिया है। माता-पिता के पूरी तरह से साथ और सुख सुविधा के बावजूद बच्चे ठीक से पढ़ नहीं पाते। खास कर छात्र के जीवन में 10वीं और 12वीं बोर्ड बहुत मायने रखते हैं। ये छात्र जीवन की वो परीक्षा होती है जिसके आधार पर वो अपने आगे के करियर को चुनते हैं। मगर ज्ञान मिलना इतना आसान नहीं होता है। कोई आर्थिक रुप से कमजोर होता है तो कोई शारीरिक रुप से, लेकिन पढ़ने के ले यदि दृढ संकल्प हों तो कोई भी बाधा उन्हें रोक नहीं सकती।

इन्हीं में से एक है राकेश प्रजापति। राकेश दृष्टिहीन है, देख नहीं सकता, लेकिन फिर भी सीबीएसई 12वीं बोर्ड में 82 प्रतिशत अंक हासिल कर उसने मिसाल कायम किया है।

जीवन में कुछ कर गुजरने की असीम चाह है राकेश की

बलरामपुर जिले के छोटे से गांव नगरा धनपुरी का रहने वाला राकेश जन्म से अंधा है, लेकिन उसे पढ़ने और जीवन में कुछ कर गुजरने की असीम चाह है। बेटे की पढाई के प्रति रुचि को देखकर उसके पिता और परिजनों ने उसे पढ़ाने की सोची। बलरामपुर जिले में कोई दिव्यांग स्कूल नहीं होने के कारण राकेश का दाखिला दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में कराया गया। राकेश ने यहीं अपने जीवन को गढ़ना शुरु किया। अपनी कड़ी मेहनत से उसने इस साल के 12वीं बोर्ड की परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक हासिल कर, सभी को चौंका दिया है। राकेश ने पहली से दसवीं तक की पढाई हरिद्वार में पूरी की और उसके बाद उसने दिल्ली में पढ़ना शुरु कर दिया था। वहां दो साल तक पढ़ने के बाद राकेश ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा अच्छे अंको से उत्तीर्ण की है। पढ़ने का जज्बा रखने वाले राकेश के पिता खेती किसानी का काम करते हैं।

राकेश की उपलब्धि से गांव वालों के साथ-साथ जिला प्रशासन भी बेहद खुश

अपने पिता के गांव और प्रदेश का नाम रौशन करने के लिए राकेश अब आईएएस बनने का सपना संजो रहा है। राकेश ने बताया कि वो आईएएस आफिसर बनना चाहता है और दिव्यांगों के प्रति जो लोगों की सोच है उसे बदलना चाहता है। आंखों से देख नहीं पाने के बाद भी राकेश ने जो उपलब्धि हासिल की है, उसे देख और सुनकर पूरा गांव खुश है। राकेश के छोटे भाई की मानें तो लोग आंखों से देखकर पढ़ने के बाद भी यह मुकाम हासिल नहीं कर पाते हैं। वहीं उसके पिता की मानें तो अपने बेटे की पढ़ाई के लिए उन्हें जो भी करना पड़े वो उसके लिए तैयार हैं। राकेश की इस उपलब्धि से जिला प्रशासन भी बेहद खुश है। जिला कलेक्टर के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी इसमें खुशी जाहिर किया है और राकेश की हरसंभव मदद करने का भरोसा दिलाया है।