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बस्तरः नक्सलियों का तुग़लक़ी फ़रमान, तेंदूपत्ता तोड़ने पर हाथ काट देने की मिली धमकी  

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May 11, 2019

शिव यादव- नक्सलियों द्वारा एक बार फिर से अपने तुग़लक़ी फ़रमान से ग्रामीणों को खुले जेलों में जीवन यापन करने का एहसास कराया गया है। वो भी तब जब बस्तर में हरे सोने के रूप में पहचान रखने वाले तेंदूपत्ता तोड़े जा रहे हैं। इसी बीच सुकमा जिले के दोरनापाल थाना क्षेत्र के कोसागुड़ा गाँव में बुधवार को देर रात नक्सलियों ने कई घरों में पर्चा चस्पाँ किया और तेंदूपत्ता ना तोड़ने की चेतावनी दी है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने पर्चे मे तेंदूपत्ता तोड़ने वाले प्रत्येक परिवारों से चार हज़ार रूपये की माँग की है और जब तक पैसे नहीं दिए जाते, तब तक तेंदूपत्ता तोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही ग्रामीणों ने बताया है कि पर्चे में नक्सलियों की बात नहीं मानने वाले लोगों के हाथ काट दिए जाने की चेतावनी भी दी गई है।

पुलिस के डर से ग्रामीणों ने नक्सली पर्चे को जला डाला

दक्षिण बसतर के सुकमा जिले में जितना ख़ौफ़ नक्सलियों का ग्रामीणों के बीच देखने को मिलता है, उतना ही पुलिस का भी देखने को मिल रहा है। दरअसल बुधवार की रात नक्सलियों द्वारा कोसागुड़ा गाँव में पर्चे लगा फ़रमान जारी किया था। सुबह होते ही ग्रामीणों ने पर्चे को फाड़कर जला डाला। जब ग्रामीणों से पर्चा जलाने की वजह पूछी गई तो बताया कि अभी तो नक्सली फ़रमान जारी किए हैं, यदि पुलिस को पता चलेगा तो पुलिस गाँव वालों को परेशान करेगी। इस वजह से पर्चे को जला दिया गया है।

नक्सली फ़रमान के बाद ग्रामीणों के बीच पसरा सन्नाटा

ग़ौरतलब है कि गाँव में जब स्वराज एक्सप्रेस की टीम पहुँची, उस वक़्त गाँव में ही ग्रामीण और कई युवक युवतियाँ मौजूद थे, पर कोई भी तेंदूपत्ता तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। नक्सलियों द्वारा बिना अनुमति तेंदूपत्ता तोड़ने वाले लोगों के हाथ काट देने के फ़रमान के बाद कोसागुड़ा गाँव में दिन भर गाँव वाले अपने-अपने घरों में ही रहे और घर के कार्यों  ही उलझे रहे। महिलाएं भी जंगल न जाकर सामूहिक रूप से आम तोड़ आचार बनाने का कार्य करती देखी गई। पूरे दिन किसी ने भी तेंदूपत्ता नहीं तोड़े।   

गाँव से कुछ मीटर की दूरी पर टूट रहे पत्ते

नक्सलियों की आख़िर कोसागुड़ा गाँव के ही ग्रामीणों से क्या दुश्मनी है। इसे नक्सली ही स्पष्ट कर पाएँगे, पर एक गाँव के साथ नक्सलियों द्वारा किए गए भेदभाव की तस्वीर आपके सामने पेश की गई है। जहाँ कोसागुड़ा गाँव के ग्रामीण नक्सली ख़ौफ़ से खेत तक नहीं जा रहे हैं तो वहीं उक्त गाँव से लगे अन्य गाँवों के ग्रामीण कोसागुड़ा से महज़ कुछ मीटर की दूरी पर ही तेंदूपत्ता तोड़ते देखे गए। जब उनसे पूछा गया कि कोसागुड़ा के ग्रामीण क्यों नहीं पत्ते तोड़ रहे, किसी ने भी जवाब नही दिया।

किसी ठेकेदार ने नहीं दिखाई रूचि, सरकार करेगी ख़रीदी

कोसागुड़ा गाँव दोरनापाल समिति के अंतर्गत आने वाला गाँव है जहाँ इस वर्ष किसी भी ठेकेदार ने तेंदूपत्ता ख़रीदी करने रूचि नहीं दिखाई है जिसके चलते जहाँ ठेकेदारों ने टेंडर नहीं लिया, वहाँ सरकारी ख़रीदी की जा रही है। कोसागुड़ा गाँव में भी सरकारी ख़रीदी की तैयारी है जिसके लिए ग्रामीणों ने अच्छा ख़ासा तेंदूपत्तों की गड्डियाँ बना खेतों में सुखने को छोड़ रखा है, मगर नक्सली ख़ौफ़ के चलते सूखे पत्तों को भी देखने ग्रामीण नहीं जा रहे हैं।