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सदियों से इस गांव में नहीं किया जाता होलिका दहन, जानें क्या है कारण...

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Mar 2, 2018

धमतरी। वक्त जरुर बदला लेकिन तेलिनसत्ती गांव का दस्तूर नहीं बदला। धमतरी से करीब तीन किमी दूर इस गांव में आज भी बिना होलिका दहन के फागुन का त्यौहार मनाया जाता है।

ग्रामीणों की मान्यता...

गांव वालों की मान्यता है कि आग जलाने से उनके ऊपर आफत आ सकती है, जबकि सदियों से चली आ रही इस परम्परा को युवा वर्ग भी अन्धविश्वास के बजाए आस्था से जोड़कर देखता है, और इसे और संजोय रखने की बात कहता है।

दशहरे में रावण दहन भी नहीं होता यहां...

गांव में दशहरे में रावण का दहन भी नहीं किया जाता है। हालांकि इन त्यौहारों की खुशियां और उमंग यहां छोटे से लेकर हर बड़े बूढ़ों में बराबर नजर आती है, लेकिन इन दोनों मौको पर गांव में आग नहीं जलती।अगर यह सब होता भी है तो सरहद के बाहर।

आज तक किसी ने इस दस्तूर के बाहर जाने की कोशिश नहीं की। कहते हैं कि जुर्रत करने पर गांव में आफत आ सकती है। गांव वालों की मानें तो सदियों पहले इस गांव में एक महिला अपने पति की चिता में सती हुई थी, तब से यह परम्परा चली आ रही है।

अपने तरीके से मनाते हैं त्यौहार...

गौरतलब है कि पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस मान्यता पर आज की पीढ़ी भी यकीन रखती है, और वे इसे आस्था से जोड़ते हुए आगे बढ़ाने की वकालत करती है। बहरहाल तेलिनसत्ती गांव का यह अनोखा दस्तूर अब इसकी पहचान बन चुका है,जहां के लोग सदियों से तीज त्यौहार अपने तरीके से मनाते हैं।