Jan 19, 2018
सागर। सागर जिले के खुरई तहसील के रहने वाले एक कामकाजी गरीब परिवार का मुखिया था बिरजू। बिरजू की तीन संताने जिनमें 2 बेटे और एक बेटी थे बिरजू कबाड़ खरीदने ओर बेचने का काम करता था कबाड़ के इस धंधे से उसे 400 से पांच सौ रुपए प्रतिदिन की आय हो जाया करती थी।
पिछले वर्ष अक्टूबर माह में जब दीपावली का त्यौहार नजदीक था बिरजू को इन दिनों ज्यादा कबाड़ मिलने की उम्मीद थी और इसी उम्मीद में वह घर से निकला था लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था अपने काम पर जाते हुए बिरजू को कोई अज्ञात वाहन टक्कर मार गया था बिरजू को अस्पताल ले जाया गया जहां से उसे भोपाल अस्पताल भेजा गया वहां जाकर पता चला कि वह कोमा मैं चला गया हैं और इलाज लम्बा चलेगा।
भोपाल मैं चले इलाज के बाद डॉक्टरों ने बिरजू को सागर मेडिकल अस्पताल भेज दिया। बिरजू के साथ उसका परिवार भी सागर इस उम्मीद में आ गया कि जल्द ही बिरजू स्वस्थ हो जाएगा।
एक ओर बिरजू अस्पताल में पड़ा था परिजनों को इंतजार था कि वो जल्द स्वस्थ हो लेकिन उनका इंतजार बढ़ता गया यूं तो इलाज के लिए अस्पताल में दवाएं मुफ्त मिल रही थी लेकिन इस परिवार के खाने का कोई ठौर नही था साथ ही डॉक्टर बिरजू के लिए भी जूस बगैरह देने का कह रहे थे।
अब परिवार के पास कोई चारा नही था परिवार का इकलौता कमाने वाला बिरजू ही था दूसरे वयस्क सदस्य में विरज की पत्नी कुसुम ही थी
तब बिरजु के नोनिहालो रहीस ओर रवि ने एक तरीका निकाला वे अपने पिता की खातिर अपने परिवार की खातिर अस्पताल के बाहर भीख मांगने लगे और भीख से जो पैसे मिलते उससे अपने बीमार बाप के साथ साथ परिवार का भरण पोषण करने लगे
जब मीडिया द्वारा इस परिवार के हालातों के बारे में अस्पताल प्रबंधन से जानकारी ली तो उनका कहना था कि बिरजू कोमा में है और उसका हाल कब सामान्य होगा कुछ कहा नही जा सकता। हां उसके परिवार को खाने पीने संबंधी सुबिधाये उपलब्ध कराने का भरोसा उन्होंने दिलाया है।