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दो महीने से नर्स और कम्पाउंडर के भरोसे चल रहा अस्पताल

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Jan 20, 2018

नीमच। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। ऐसे ही हालात हैं जीरन तहसील मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां करोड़ों की लागत से अस्पताल भवन तो बना है, लेकिन मरीजों को दवा लिखने वाले चिकित्सक नहीं। मजबूरी में नर्स और कम्पाउंडर मरीजो को दवाईयां दे रहे है। हालांकि अभी कुछ दिनों से स्वास्थ्य विभाग ने जीरन में आयुष चिकित्सक की व्यवस्था की है जो दो दिन में एक बार यानी पूरे सप्ताह में 3 दिन अपनी सेवाएं देकर मरीजो के मर्ज को दूर कर रहे है। डेढ़ करोड़ की लागत से बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जीरन में पिछले 2 माह से चिकित्सक का अभाव बना हुआ है, चिकित्सकों के अभाव के चलते रोगियों का उपचार भी भगवान भरोसे चल रहा है। ऐसे में छोटी-मोटी बीमारियां होने पर रोगियों को उपचार के लिए जिला मुख्यालय नीमच या फिर निजी अस्पताल पहुंचकर अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। सरकार ने भले ही नि:शुल्क उपचार के साथ ही नि:शुल्क दवा वितरण और नि:शुल्क पैथोलॉजी जांच की सुविधाएं जीरन स्वास्थ्य केंद्र पर देना शुरू कर दिया है। लेकिन चिकित्सकों की उपलब्धता नहीं होने से मरीजो को न तो परामर्श मिल रहा है न ही उपचार। आलम यह है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर नि:शुल्क दवा तो है लेकिन दवा लिखने वाला चिकित्सक नहीं है। बता दें कि यहाँ चिकित्सकों के 6 पद स्वीकृत है, जिस पर दो माह पहले तक केवल एक चिकित्सक की नियुक्ति थी। लेकिन मप्र सरकार की सेवा नीतियों में संशोधन के बाद से प्रदेश के कई चिकित्सको ने अपनी शासकीय सेवा छोड दी बस तब से यहां चिकित्सक का पद रिक्त पड़ा हुआ है। गंभीर मामला आने पर मरीजों को जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है। हालांकि इधर बिगड़ती स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए यहां स्वास्थ्य विभाग ने जीरन में एक आयुष चिकित्सक की व्यवस्था की है जो दो दिन में एक बार यानी पूरे सप्ताह में 3 दिन जीरन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच रहे। साथ ही चिकित्सक की आस में मरीज भी चक्कर लगा रहे। बता दे कि जीरन का यह अस्पताल पूरी जीरन तहसील का सबसे बड़ा अस्पताल है। जो कि क्षेत्र के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों के इलाज का मुख्य केंद्र है। लेकिन चिकित्सक न होने की दशा में दूर गांवो से आने वाले मरीज भटक रहे है।