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हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच ने उद्योगों और ईंट भट्ठों को लेकर याचिका पर की सुनवाई

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Aug 2, 2018

धर्मेंद्र शर्मा : हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सोन चिरैया राष्ट्रीय अभ्यारण क्षेत्र में स्थापित किए गए उद्योगों और ईंट भट्ठों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार राज्य सरकार ,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग और 44 ऐसे पक्षकारों को नोटिस जारी किए हैं जिन्होंने अभ्यारण क्षेत्र में संपत्तियां जमा की है। इन सभी को 4 सप्ताह के अंदर जवाब देना है। अब इस मामले में 28 अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता ज्ञानदीप शर्मा ने एक याचिका हाई कोर्ट में दायर किए जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 1981 में घाटीगांव और जौरा को मिलाकर करीब 581 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सोन चिरैया अभ्यारण घोषित किया था क्षेत्र में किसी भी तरह का भूमि हस्तांतरण उद्योगों की स्थापना अथवा विकास कार्यों को लेकर रोक लगाई गई थी, क्योंकि इससे सोन चिरैया जो विश्व की सबसे दूसरी दुर्लभ पक्षी है उसका प्राकृतिक रहवास प्रभावित हो सकता था। 

कालांतर में स्थानीय प्रशासन और उद्योगपतियों की मिलीभगत के चलते वहां ना सिर्फ फैक्ट्रियां खड़ी कर दी गई और ईट भट्टे भी लगा दिए गए। याचिका में कहा गया है कि अभ्यारण क्षेत्र में डेढ़ सौ चॉकलेट और तिल्ली फैक्ट्रियां हैं ,जबकि 70 से ज्यादा ईट भट्टे हैं जो निरंतर प्रदूषण फैला रहे हैं। खास बात यह है कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने खुद ही हाई कोर्ट में बहस की है। हाईकोर्ट में याचिका की गंभीरता को देखते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किए हैं वही 4 सप्ताह के भीतर उनसे जवाब तलब किया है।