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शिवराज सरकार ने अवैध खनन रोकने के लिए इजाद किया नया तरीका

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Mar 10, 2018

सरकार ने मध्य प्रदेश में बढ़ते अवैध खनन को रोकने के लिए एक नया तरीका इजाद किया है अब सरकार खदानों से निकलने वाली रेत को ठेकेदार, कॉलोनाइजर और आम आदमी तक को ऑनलाइन रेत बेची जा सकेंगी। ऐसे में खनन विभाग का मानना है कि इससे रेत माफियाओं का खेल खत्म हो जाएगा वहीं खनन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का मानना है कि इससे और भी ज्यादा रेत का अवैध उत्खनन बढ़ेगा क्योंकि ऑनलाइन रेत के डंपर और ट्रॉलियों को रोकने का अधिकार पुलिस के पास नही होगा। 

रेत माफिया इस कदर सक्रिय हैं कि रातों रात नदियों से अवैध खनन का काम करते है उनका नेटवर्क इतना तगड़ा है कि राजस्व, वन, खनिज विभाग और पुलिस प्रशासन के दबिश देने के पहले ही भाग जाते हैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान उन ठेकेदारों को उठाना पड़ रहा है जो करोड़ों की राॅयल्टी चुकाने के बाद भी कुछ नहींं कर पा रहे हैं। इन सबसे बचने के लिए सरकार ने नई रेत नीति बनाई है। जिससे सरकारी भवनों सहित हर आम व्यक्ति को आसानी से निर्धारित मूल्य में रेत उपलब्ध हो सके साथ ही निर्माण कार्यों के लिए रेत कमी नहीं रहेगी। 

वहीं इस बारे में खनिज अधिकारी मनीष पलेवार का कहना है कि ग्वालियर सरकार की नई रेत नीति के तहत अब रेत को कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन खरीद सकेगा जिससे अवैध रेत के उत्खनन पर लगाम लगेगी।

ऐसे मिलेगी रेत  

·   नई नीति में रेत खदानों का भौगोलिक स्थिति पर चिंहित किया गया है। 

·   जिसकी खनन योजना जरूरी पर्यावरण अनुमति कलेक्टर द्वारा ली जाएगी। 

·   रेत हार्वेस्टिंग एवं विक्रय का कार्य अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से डिपो पर संग्रहित कर 
    वहां से किया जाएगा। 

·   खदानों का संचालन पंचायतों एवं स्थानीय निकाय के नियंत्रण के अधीन होगा। 

·   डिपो पर रेत का विक्रय ऑनलाइन रेत बुकिंग पोर्टल के माध्यम से और डिपो पर रेत की 
    दर का निर्धारण पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर जिला स्तर पर गठित एक समिति द्वारा 
    किया जाएगा। रेत का परिवहन पंजीकृत वाहनों से प्रस्तावित किया गया है। 


शिवराज सरकार द्वारा बनाई गयी नई रेत नीति के तहत अब विक्रय ऑनलाइन रेत बुकिंग पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। इसके तहत उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन रेत बुकिंग की जाएगी जिसके बाद उपभोक्ता के पास पंजीकृत वाहन से ही रेत की सप्लाई की जाएगी। इस नई रेत नीति से रेत सही दाम में उपलब्ध होगी और समय पर मिल सकेगी लेकिन सरकार की इस नीति को खनन कारोबारी ही गलत बता रहे है, उनके मुताबिक इससे रेत का उत्खनन कम नही होगा बल्कि और बढ़ेगा। 

सुनील चौरसिया खनन कारोबारी का इस बारे में कहना है कि भले ही सरकार ने रेत नीति बना दी हो, लेकिन ऑनलाइन रेत बेचने से और भी ज्यादा अवैध उत्खनन का कारोबार बढ़ेगा क्योंकि उस गाड़ी को रोकने का आधिकारी संबधित पुलिस थाने को नही होगा।

नई रेत नीति से सीधा फायदा पंचायतों को भी होगा। समिति द्वारा तय कीमत पर डिपो से जो रेत बेची जाएगी। उसमें से आई आधी राॅयल्टी संबंधित ग्राम पंचायत या नगरीय निकाय के खाते में जाएगी। रॉयल्टी की 50 प्रतिशत राशि स्थानीय निकाय को खदानों के संचालन से प्राप्त रॉयल्टी राशि में से 50 प्रतिशत राशि संबंधित ग्राम पंचायत, नपं को 30 प्रतिशत राशि जिला कलेक्टर तथा 20 प्रतिशत राशि राज्य शासन निगम को प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। नागरिकों को रेत परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सेंड ट्रांसपोर्ट टैक्सी की व्यवस्था करने का प्रावधान किया है। फिलहाल देखना होगा, ये नई रेत नीति अवैध उत्खनन को रोकने में कगार हो पाती है या नही।