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सीएम मोहन यादव की हाई प्रोफाइल बैठक: सत्ता-संगठन समन्वय के लिए भाजपा का नया फॉर्मूला, छोटी टोली का गठन

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Sep 21, 2025

सीएम मोहन यादव की हाई प्रोफाइल बैठक: सत्ता-संगठन समन्वय के लिए भाजपा का नया फॉर्मूला, छोटी टोली का गठन

भोपाल, मध्य प्रदेश। भाजपा में सत्ता और संगठन के बीच मजबूत समन्वय स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जो पार्टी की एकजुटता को नई ऊंचाई देने का संकेत देता है। शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित हाई प्रोफाइल बैठक में राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश की मौजूदगी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सक्रिय भूमिका निभाई। इस बैठक ने न केवल समन्वय की नई रूपरेखा तैयार की, बल्कि पार्टी के आंतरिक मुद्दों को संबोधित करने का संकल्प भी लिया। नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में यह पहल आलाकमान की रणनीति का हिस्सा लगती है, जो गुटबाजी और अनुशासनहीनता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए डिजाइन की गई है। यह फॉर्मूला पार्टी को आगामी चुनावों के लिए मजबूत बनाने का प्रयास है, जहां सत्ता के अनुभव और संगठन की ताकत का तालमेल आवश्यक हो गया है। बैठक के फैसलों से कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है, लेकिन चुनौतियां अभी बरकरार हैं।

बैठक का विवरण और टोली गठन

शनिवार को हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में समन्वय को मजबूत बनाने के लिए एक छोटी टोली का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य सरकार, संगठन और सत्ता के बीच त्वरित समन्वय सुनिश्चित करना है। टोली में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह शामिल हैं। बैठक में समय-समय पर समन्वय बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, सेवा पखवाड़ा, नए जीएसटी से जुड़े कार्यक्रमों और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर विस्तृत चर्चा हुई। यह टोली प्रदेश कोर कमेटी के पूरक के रूप में कार्य करेगी, जो बड़े मुद्दों पर सलाह देती है, लेकिन त्वरित निर्णयों के लिए यह अधिक प्रभावी साबित होगी। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद यह पहला बड़ा कदम है, जो पार्टी की एकता को मजबूत करने की दिशा में है।

समन्वय टोली के सामने प्रमुख चुनौतियां

समन्वय टोली के सामने दो बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं, जो पार्टी की आंतरिक सेहत पर असर डाल रही हैं। पहली, गुटबाजी का जहर, जो सागर, ग्वालियर-चंबल और विंध्य जैसे क्षेत्रों में फैल रहा है। दिग्गज नेता खुद इसमें लिप्त दिखते हैं, जैसे हाल ही विंध्य में सीएम के कार्यक्रम से उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की अनुपस्थिति ने एकता पर सवाल उठाए। दूसरी चुनौती बड़बोले और अनुशासन तोड़ने वाले नेता हैं, खासकर उनके पुत्रों के विवादास्पद वीडियो और टकराव। चाहे गोलू शुक्ला के बेटे का मामला हो, देवास विधायक के पुत्र का वायरल वीडियो या भिंड विधायक का कलेक्टर से विवाद—ये घटनाएं पार्टी की छवि को धूमिल कर रही हैं। टोली को इन मुद्दों का कड़ाई से समाधान करना होगा, ताकि संगठनात्मक शक्ति बरकरार रहे।

आगे की रणनीति और प्रभाव

प्रदेश कोर कमेटी यथावत रहेगी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल हैं, लेकिन इसकी बैठकें अनियमित होने से छोटी टोली की आवश्यकता पड़ी। यह फॉर्मूला पार्टी को आंतरिक कलह से बचाते हुए विकास कार्यों पर फोकस करने में मदद करेगा। कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे भाजपा मध्य प्रदेश में और मजबूत होगी। 

Report By:
Monika