Sep 21, 2025
नवरात्रि के रंग में माँ भद्रकाली का अनोखा मंदिर: जहाँ गालियाँ हैं भक्ति का आलम!
नवरात्रि का पावन पर्व कल, 22 सितंबर 2025 से शुरू हो रहा है, और माँ दुर्गा की भक्ति में डूबने का इससे बेहतर समय क्या हो सकता है? केरल के कोडुंगल्लूर में माँ भद्रकाली का एक ऐसा मंदिर है, जहाँ भक्ति का रंग बिल्कुल अनोखा है। यहाँ भक्त माँ को गालियाँ देकर पूजते हैं, जो सुनने में अटपटा लगे, लेकिन यह गहरी श्रद्धा का प्रतीक है। आइए, नवरात्रि की शुरुआत पर इस रहस्यमयी मंदिर और इसकी उग्र भक्ति की कहानी जानें, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को और भी खास बनाती है।
माँ भद्रकाली का उग्र रूप: पौराणिक कथा
थ्रिसूर के कोडुंगल्लूर में बसा श्री कुरुंब भगवती मंदिर माँ भद्रकाली को समर्पित है। मान्यता है कि परशुराम ने भगवान शिव की तपस्या से प्रसन्न होकर यहाँ माँ की मूर्ति स्थापित की थी। छह फुट ऊँची, आठ भुजाओं वाली मूर्ति क्रोध और शक्ति का प्रतीक है। तमिल महाकाव्य 'शिलप्पदिकारम' की नायिका कन्नकी, जिन्हें भद्रकाली का अवतार माना जाता है, ने मदुरै जलाने के बाद यहीं विश्राम किया। यह मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पाँच चक्रों पर आधारित है, जो इसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से खास बनाता है। नवरात्रि में यहाँ की शक्ति पूजा भक्तों को माँ के दर्शन के लिए खींच लाती है।
भरानी उत्सव: गालियों में छिपी भक्ति
हर साल मार्च-अप्रैल में होने वाला भरानी उत्सव माँ भद्रकाली की उग्र भक्ति का सबसे बड़ा उत्सव है, लेकिन नवरात्रि में भी यह मंदिर भक्तों से गुलजार रहता है। भरानी में वेलिचपड़ (देवी के पुजारी) उन्माद में नाचते, गाते और गालियाँ बकते हुए मंदिर की ओर दौड़ते हैं। वे हल्दी, अनाज और सिक्के माँ पर चढ़ाते हैं। किंवदंती है कि रक्तबीज के वध के बाद माँ का क्रोध शांत करने के लिए भक्तों ने गालियाँ दीं, जो तांत्रिक परंपरा बन गई। यह गालियाँ अपमान नहीं, बल्कि प्रेम और श्रद्धा की अनोखी भाषा हैं। नवरात्रि में यहाँ माँ की पूजा सौम्य और उग्र दोनों रूपों में की जाती है, जो भक्तों को माँ की कृपा से जोड़ती है। उत्सव के अंत में चंदन से मूर्ति का शुद्धिकरण शांति का संदेश देता है।
नवरात्रि में क्यों खास है यह मंदिर?
नवरात्रि में माँ भद्रकाली की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह मंदिर शक्ति की साधना का केंद्र है। यहाँ की अनोखी परंपरा भक्तों को सिखाती है कि भक्ति का कोई एक रूप नहीं होता। गालियों से लेकर मंत्रों तक, हर भाव माँ को प्रिय है। नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो माँ की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं। यहाँ की जीवंतता और तांत्रिक पूजा नवरात्रि के उत्साह को दोगुना कर देती है।
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर माँ भद्रकाली का कोडुंगल्लूर मंदिर हमें सिखाता है कि भक्ति की कोई सीमा नहीं होती। यहाँ गालियाँ भी प्रेम की भाषा बन जाती हैं। यदि आप नवरात्रि में केरल की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें और माँ की उग्र शक्ति का अनुभव लें। यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता का अनुपम उदाहरण है।