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Narmada Jayanti 2024: नर्मदा जयंती आज,क्या आप जानते है? नर्मदा से जुड़े ये बड़े फैक्ट

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Feb 16, 2024

HIGHLIGHT 

  • हिंदू धर्म में देवी नर्मदा की पूजा बहुत ही शुभ मानी गई है।
  • इस साल यह 16 फरवरी यानी आज मनाई जा रही है।

Narmada Jayanti 2024 -नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti 2024) हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 16 फरवरी 2024 दिन शुक्रवार यानी आज मनाई जा रही है। 

नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर लगभग 1,312 किमी चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है।

नर्मदा के कण-कण में भगवान शंकर  - 

हमारे हिन्दू शास्त्रों में प्राकृतिक शिवलिंग पूजा का बहुत महत्व है। खासकर स्वयंभू (स्वयंसिद्ध) शिवलिंग पूजा से गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी है। ऐसे ही प्राकृतिक और स्वयंभू शिवलिंगों में प्रसिद्ध है- बाणलिंग(नर्मदेश्वर)। पवित्र नर्मदा नदी के किनारे पाया जाने वाला एक विशेष गुणों वाला  पत्थर ही बाणलिंग कहलाता है। बाणलिंग शिव का ही एक रूप माना जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह प्राकृतिक रूप से ही बनता है। इसलिए यह स्वयंसिद्ध शिवलिंग माना जाता है और इनके केवल दर्शन भर ही भाग्य संवारने वाला बताया गया है। हालांकि, बाणलिंग गंगा नदी में भी पाए जाते हैं, किंतु नर्मदा नदी में पाए जाने वाले पत्थर के पीछे पौराणिक महत्व है। नर्मदा नदी व उसके नजदीक पाए जाने से बाणलिंग ( पत्थर ) को नर्मदेश्वर लिंग भी कहकर पुकारा जाता है। हिन्दू धर्म के विभिन्न शास्त्रों तथा धर्मग्रंथों के अनुसार मां नर्मदा को यह वरदान प्राप्त था की नर्मदा का हर बड़ा या छोटा पत्थर बिना प्राण प्रतिष्ठा किये ही शिवलिंग के रूप में पूजित होगा। 

नर्मदा नदी उल्टी बहती है - 

नर्मदा नदी को उल्टा चलने का कारण रिफ्ट वैली है। रिफ्ट वैली का मतलब है नदी का बहाव जिस दिशा में होता है, उसका ढलान उसके विपरीत दिशा में हो। इसी ढलान की वजह से नर्मदा नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर है।नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात के राज्यों से होकर बहती है। इस नदी का उद्गम अमरकंटक पर्वत से होता है, जो मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित है। नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती हुई गुजरात के कच्छ के रण में जाकर गिरती है।नर्मदा नदी के मार्ग में एक रिफ्ट वैली है, जो मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित है। इस रिफ्ट वैली की वजह से नर्मदा नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर हो गया। नर्मदा नदी को उल्टा बहने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है। इस कथा के अनुसार, नर्मदा नदी का विवाह सोनभद्र नदी से तय हुआ था। लेकिन नर्मदा नदी की सहेली जोहिला के कारण दोनों के बीच दूरियां आ गईं। इससे क्रोधित होकर नर्मदा ने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया और धारा के विपरीत बहने का निर्णय लिया।

नोट - हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि नर्मदा नदी को उल्टा बहने का कारण रिफ्ट वैली है। पौराणिक कथा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

नर्मदापुरम में मनाया जाता है सबसे बड़ा उत्सव -हर साल नर्मदा जयंती के अवसर पर हार साल नर्मदा के घाटों को दुल्हन के समान सजा दिया जाता है। पुरे शहर के लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। नर्मदापुरम के हर घाटों में जहाँ-तहाँ भंडारे का आयोजन किया जाता है। नर्मदा के जन्मोत्सव के लिया कन्या भोजन जैसे प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं ,नर्मदा नदी के बीच पानी में बनाया जाता है विशेष मंच, शाम में महाआरती का किया जाता है आयोजन इसके साथ ही पूरा शहर नर्मदाष्टक और माँ नर्मदा के जयकारों से गुंजायेमान रहता है...

नर्मदा नदी के बीचों -बीच की जाती है आतिशबाजी -

हर साल नर्मदा जयंती पर के अवसर पर विशेष रूप से नर्मदा के बीच में शाम के समय भव्य आतिशवाजी का नज़ारा देखने को मिलता है,नर्मदापुरम में शाम होते ही दीपोत्सव शुरू हो जाता है,एक साथ हज़ारों की संख्या में दीपक नर्मदा नदी में देखने को मिलते हैं जिस वजह से पुरे घाट का नज़ारा देखते ही बनता है...

बंबुलियां लोकगीत चारो तरफ सुनने को मिलता है

नर्मदा की सदानीरा जलधारा पुरे मध्यप्रदेश की अंचल जीवनरेखा है। नर्मदा की संस्कृति मे इस कदर लोगों में समाई हैं कि नर्मदा की महिमा और उनसे जुड़ी कथाएं अंचल के बंबुलियां लोकगीतों में सुनने को मिलती हैं। बम्बुलियां, राई, ददरिया नर्मदा क्षेत्र लोकसंगीत हैं जो नर्मदा के जन्म से लेकर उल्टा बहने तक की कथाएं सुंदर व मनमोहक धुनों के साथ लोककलाकार सुनाते हैं... 

पवित्र नर्मदा नदी से जुड़े फैक्ट -

  • नर्मदा नदी को प्राचीन काल में रेवा के नाम से भी जाना जाता था...
  • नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलती है ।
  • नर्मदा नदी भारत के उत्तर और दक्षिण क्षेत्र के मध्य एक विभाजक रेखा के रूप में बहती है ।
  • मध्य प्रदेश में पश्चिम दिशा की ओर बहने वाली नदियों में नर्मदा व ताप्ती नदियां मुख्य हैं ।
  • नर्मदा नदी गुजरात के अरब सागर में खंभात की खाड़ी में गिरती हैं ।
  • नर्मदा और ताप्ती नदी सागर में गिरने के बावजूद डेल्टा नहीं बनाती हैं ।
  • नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1312 किमी . है । जिसमे से मध्य प्रदेश में वह 1077 किमी .बहती है ।

Report by - Ankit Tiwari