Jan 26, 2018
**भिलाई।** भिलाई शहर में ऐसा जीता-जागता वंडर किड मिला है, जिसे आप गूगल बॉय भी कह सकते हैं। क्योंकि 2 साल 10 माह का विराट बहुत ही तेज है। इस बच्चे के सामने बड़े बड़े घुटने टेक देते हैं। कारण है इस बालक का ज्ञान, जिसके आगे बड़े-बड़ों का सामान्य ज्ञान भी जीरो हो जाता है। महज ढाई साल के विराट अय्यर आपको चंद मिनटों में देश-दुनिया, ज्ञान, विज्ञान, अर्थव्यवस्था, ऑटोमोबाइल, आविष्कार, मशहूर हस्तियों की उपलब्धि और उनके नाम से परिचय करा सकते हैं, बस जरूरत होती आपके एक सवाल की। सवाल सुनकर नन्हा गूगल ब्वॉय तूतलाती आवाज में उसका सही जवाब बताकर वीकिपीडिया को भी मात दे रहा है।
**50 से भी ज्यादा देशों की राजधानी के नाम याद...**
वहीं गूगल वॉय विराट के ज्ञान का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है, कि उसे दुनिया के 50 से भी ज्यादा देशों की राजधानी के नाम जुबानी याद हैं, इसके अलावा भारत के सभी राज्यों की राजधानी, धार्मिक देवी देवताओं, भारतीय त्योहारों , भारत की मशहूर हस्तियों के साथ ही फेसबुक, पेप्सिको और माइक्रोसाफ्ट जैसी ग्लोबल कंपनियों के सीईओ के नाम भी वो झट से बता देता है। गुलाम भारत की आजादी के लिए लगाए नारे कब किसने दिया, ये तक विराटचंद सेकंड में बता देता है।इतनी कम उम्र में ये ज्ञान वाकई हैरान करने वाली बात है।
**5 भाषाओं की समझ...**
जिस उम्र में बच्चे ठीक से बोल भी नहीं पाते उस उम्र में विराट न सिर्फ 5 भाषाएं समझता है, बल्कि बोलता भी है, विराट इंग्लिश, हिंदी, तमिल, तेलगु के अलावा मराठी भी समझता है, इसके अलावा किसी भी कार को देखकर उसका मॉडल नंबर और नाम बता सकता है। सबसे बड़ी बात एक बार कही हुई बात उसे कंठस्थ याद हो जाती है, वह उन बातों को किसी भी वक्त दोहरा सकता है। गूगल ब्वॉय को ये तक पता है, कि गुरुत्वाकर्षण नियम न्यूटन ने खोजा था, भारत के पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के अलावा 150 से ज्यादा जीके के प्रश्नों का जवाब विराट बिना रूके दे सकता है।
**4 महीने से देता था बातों का रियेक्शन...**
विराट की मां बताती हैं, कि जब वह महज 4 महीने का था, तब से बातों पर रियेक्शन देता था। उस दौरान लोरी की जगह इंग्लिश, हिंदी कविता सुनाती थी, 7 महीने में वह फल, सब्जियों, जानवर, पक्षियों के नाम लेने पर उसके मॉडल हाथ में थमा देता था, एक साल की उम्र तक इंग्लिश के अल्फाबेड ए से जेड तक विराट को याद हो गया था, तब उन्हें अहसास हुआ कि उनके बच्चे का आईक्यू सामान्य बच्चों से कहीं ज्यादा है। अब वे प्रकृति प्रदत्त बुद्धि को परिष्कृत करने में जुट गए हैं, ताकि अपने ज्ञान से विराट देश और दुनिया में छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिला सके।