Jul 7, 2017
इंदौर : अब तक आपने शिक्षा की पाठशाला, म्यूजिक की पाठशाला, कढ़ाई, बुनाई, कूकिंग की पाठशाला यहां तक कि मस्ती की पाठशाला का नाम सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी ठगी की पाठशाला के बारे में सुना हैं। इसका जवाब नहीं में ही होगा। लेकिन आज हम आपको बतायेंगे ठगी की पाठशाला के बारे में, जिसमें दसवीं फेल या अशिक्षित कम उम्र के बच्चे ठगी करना सीखते हैं और फिर उच्च शिक्षित युवाओं, रिटायर्ड अधिकारियों और महिलाओं को ठगते हैं।
दसवी फेल मास्टर्स बन रहे हैं और उच्च शिक्षित लोगों को ठग रहे हैं। ठगी के रूपयों से बंगले भी बना चुके हैं। जी हां पढ़ने में बड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह हकीकत हैं। मप्र के टीकमगढ़ जिले के कई गाँवों में इस तरह की ठगी की पाठशालाएं चल रही हैं। जिसमें ऑनलाइन और मोबाइल पर ठगी करने में मास्टर हो चुके ठग कम पढ़े लिखे और अशिक्षित किशोरों को ठगी की शिक्षा देते हैं। ठगी की इस पाठशाला में मास्टर होने के बाद नये नवेले ठग भी ठगी के काम में उतर जाते हैं। पुलिस के मुताबिक नये नवेले ठगों को पहले 2 सप्ताह की पाठशाला में ठगी की पढ़ाई करवाई जाती हैं। उसके बाद ठगी करने में माहिर हो चुके उस्तादों के पास उन्हें बैठाकर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती हैं। जिसमें उन्हें मुख्य तौर पर फोन कॉल पर लोगों से किस तरह की बात करना हैं, यह बताया जाता हैं। ठगी की पाठशाला में उन्हें बैंक अकाउंट की जानकारी के साथ ही रुपयों को ई-वॉलेट में किस तरह से डालना हैं इसकी भी जानकारी दी जाती हैं।
पुलिस के मुताबिक टीकमगढ़ से पकडाये हुकम सिंह यादव की निशानदेही पर 14 और लोगों की पहचान कर ली गयी हैं। अब उनकी तलाश कर उन्हें भी जल्द गिरफ्तार किया जायेगा। ठगी में माहिर हो चुके ये ठग गांव के अपने कच्चे मकानों को पक्का बना चुके हैं। इन ठगों के साथ ही उस व्यक्ति की भी तलाश हैं, जो इन्हें लोगों के बैंक एकाउंट्स की डिटेल्स देता हैं। ठगी की पाठशाला शुरू करने वाला आरोपी फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। वह खुद दिल्ली में किसी से ठगी का यह काम सीखकर आया था और फिर उसने अपने गांव से ही ठगी के काम को अंजाम देना शुरू कर दिया। ठगी की पाठशाला से मास्टर बनने के बाद नये ठग भी अपना काम अलग से शुरू कर देते हैं।