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पुलिस हिरासत में भी सुरक्षित नहीं महिलाएं, रेप के 275 मामले दर्ज

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Feb 26, 2024

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 और साल 2022 के बीच भारत में पुलिस हिरासत के दौरान बलात्कार के 270 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने भारत में हिरासत में बलात्कार के मामलों पर डेटा जारी किया। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 से 2022 के बीच 270 से ज्यादा हिरासत में रेप के मामले दर्ज किए गए हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने ऐसी घटनाओं पर नाराजगी जताते हुए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के भीतर संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को इसका कारण बताया है।

आंकड़ों के मुताबिक, इन बलात्कार मामलों के अपराधी पुलिस अधिकारी, लोक सेवक, सशस्त्र बलों के सदस्य, जेल, रिमांड होम, रिमांड होम और अस्पताल हैं। लेकिन डेटा पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मामलों में धीरे-धीरे गिरावट को उजागर करता है। बता दें कि  साल 2022 में 24 मामले, 2021 में 26 मामले, 2020 में 29 मामले, 2019 में 47 मामले, 2018 में 60 मामले और 2017 में 89 मामले दर्ज किये गए हैं.

हिरासत में बलात्कार के मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) के तहत दर्ज किए गए हैं। यह किसी पुलिस अधिकारी, जेलर या किसी महिला की कानूनी हिरासत में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए बलात्कार के अपराध से संबंधित है। । 2017 के बाद से हिरासत में बलात्कार के 275 मामलों में से, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 92 मामले हैं। वहीं, इसके बाद मध्य प्रदेश में 43 मामले हैं।

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया(Population Foundation of India) की कार्यकारी निदेशक, पूनम मुटरेजा ने कहा, “निवारक प्रणाली दुर्व्यवहार के अवसर प्रदान करती है, जहां सिविल सेवक अक्सर अपनी शक्ति का उपयोग यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए करते हैं। उन्होंने कहा, "जब महिलाओं को हिरासत में लिया जाता है और यौन हिंसा का शिकार बनाया जाता है, तो उनकी सुरक्षा या उनकी कमजोर स्थिति, जैसे अपहरण या घरेलू हिंसा, प्रशासनिक सुरक्षा की आड़ में शक्ति के दुरुपयोग का प्रतिनिधित्व करती है।"

सामाजिक कार्यकर्ता पल्लवी घोष ने पुलिस अधिकारियों पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़ितों की दुर्दशा बताई। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन के भीतर दोषारोपण और पीड़ित को दण्डमुक्ति की व्यापक संस्कृति पीड़ितों को न्याय मांगने से रोकती है। पुलिस स्टेशनों में हिरासत में लेकर जबरदस्ती करना एक आम बात है। जिस तहर से पुलिस अधिकारी, यहां तक ​​कि महिला कांस्टेबल भी हिरासत में ली गई महिलाओं से व्यवहार करती हैं,उससे पता चलता है कि महिला कांस्टेबल के मन में महिलाओं के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है।

Report By:
Author
ASHI SHARMA