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आने वाले समय में पानी की उपलब्धता समाज और सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती -मुख्यमंत्री कमलनाथ

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Feb 11, 2020

भोपाल: मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि आने वाले समय में पानी की उपलब्धता समाज और सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सब मिलकर ही इसका मुकाबला कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि मेरा स्वप्न है कि हर व्यक्ति को शुद्ध जल उसके घर पर मिले। यह स्वप्न सबका हो, तो जरूर इसमें सफल होंगे। मुख्यमंत्री मिंटो हाल में जलाधिकार कानून को लेकर मध्यप्रदेश सरकार और जल-जन जोड़ो आंदोलन द्वारा संयुक्त रूप रूप से आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री कमल नाथ की वजह से सुरक्षित हैं चार राज्यों के अरावली पर्वत

जल पुरुष एवं मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त प्रो. राजेन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय जल सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री कमल नाथ से उनके वर्ष 1990 से संबंध है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पर्यावरण के प्रति कितना गहरा जुड़ाव है इसका एक उदाहरण है गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली राज्य में फैले हुए अरावली पर्वत। उन्होंने कहा कि आज यह पर्वत सुरक्षित हैं, तो इसका श्रेय मुख्यमंत्री कमल नाथ को जाता है। प्रो. सिंह ने बताया कि 7 मई 1992 को अरावली पर्वत में हो रहे अवैध उत्खन्न और अतिक्रमण को लेकर वे मुख्यमंत्री से मिले थे, तब वे केन्द्र में वन एवं पर्यावरण मंत्री थे। जब उनके समक्ष मैंने यह मुद्दा रखा, तब उन्होंने तत्काल उस समय अरावली पर्वत को बचाने के लिए जो अधिसूचना जारी की, उसके कारण ही वे आज तक सुरक्षित हैं और वहाँ चारों तरफ हरियाली है।

सम्मेलन में जल और पर्यावरण से जुड़े समाजसेवी और विशेषज्ञ ले रहे भाग

सम्मेलन में 25 राज्य के जल और पर्यावरण से जुड़े समाजसेवी और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। अधिवेशन में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित "राइट टू वाटर" विषय पर विचार- विमर्श होगा। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि हमारी सोच के अभाव और लापरवाही के कारण जल संकट बढ़ रहा है, जो आगे चलकर और भी गंभीर होने वाला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1982 में हुए पृथ्वी सम्मेलन में मैंने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया था कि पर्यावरण और जंगल तभी तक सुरक्षित और जीवित हैं, जब तक हमारे पास पानी है। इसलिए पानी बचाने और जल स्त्रोतों को संरक्षित करने का काम सबसे पहले करना होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि आज हमारे 65 बाँध और 165 रिजर्व वायर सूखे की चपट में हैं। स्थानीय निकाय नागरिकों को 2 से 4 दिन में पानी उपलब्ध करवा पा रहे हैं। भविष्य में यह संकट गहराएगा। इसकी चिंता हमें आज से करना होगी। उन्होंने कहा कि हमारे पर्यावरणविद और जल संरक्षण के क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले स्वयंसेवियों को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने मिलकर इसकी आज से चिंता नहीं की, तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।

चुनावी राजनीति में आने का मूल कारण पानी

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जल सम्मेलन में बताया की चुनावी राजनीति में आने का मूल कारण पानी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 1979 में जब वे छिंदवाड़ा जिले के सौंसर से पाडुंर्णा जा रहे थे, तब रास्ते में कुछ गाँव के लोग सड़क पर खड़े होकर उनका 3 घंटे से इंतजार कर रहे थे। उस समय रात के 10 बज रहे थे। मैंने अपनी गाड़ी रोकी और उनसे खड़े होने का कारण पूछा, तो गाँव वालों ने बताया कि सड़क से आधा किलोमीटर उनका गाँव है। उन्हें पानी लेने के लिए 12 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके कारण गाँव के लड़कों के विवाह नहीं हो रहे हैं क्योंकि लड़की वाले कहते हैं हमारी बेटी इतने दूर से पानी नहीं लाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उसी दिन मैंने तय किया था कि चुनावी राजनीति के जरिए लोगों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाऊँगा। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में आज जो स्थिति है, वह सबके सामने है।

राष्ट्रीय जल सम्मेलन में मुख्यमंत्री का राइट टू वाटर कानून बनाने पर अभिनंदन

मुख्यमंत्री कमल नाथ का राष्ट्रीय जल अधिवेशन में तरुण भारत संघ की ओर से राइट टू वाटर कानून बनाने की पहल करने और मध्यप्रदेश को देश का पहला राज्य बनाने के लिए अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में यह सरकार लोगों को पर्याप्त पानी, पहुँच में पानी और पीने योग्य पानी का कानूनी अधिकार देने जा रही है। ऐसा अधिकार देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा।