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स्थापना दिवस के मौके पर सीएम चौहान ने लिखा ब्लॉग

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Nov 1, 2016

भोपाल। जब मध्यप्रदेश का मानचित्र जवाहरलाल नेहरू को दिखाया गया तो उन्होंने बोला था कि यह कैसा ऊँट जैसा प्रदेश बना दिए हो। 3,08,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के साथ मध्यप्रदेश, राजस्थान के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। यह भारत के उत्तर-मध्य हिस्से में बसा प्रायद्वीपीय पठार का एक हिस्सा है, जिसकी उत्तरी सीमा पर गंगा-यमुना के मैदानी इलाके है, पश्चिम में अरावली, पूर्व में छत्तीसगढ़ मैदानी इलाके तथा दक्षिण में तप्ती घाटी और महाराष्ट्र के पठार है। 

मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस मंगलवार को मनाया जा रहा है। राज्य के स्थापना दिवस को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि बीते एक दशक में राज्य का कायाकल्प सरकार की साफ नीति और नीयत तथा प्रदेश के परिश्रमी लोगों के निरंतर प्रयासों का सुफल है।

सीएम ने अपने ब्लॉग में लिखा है, "भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश का 61वां स्थापना दिवस है। मेरा जन्म प्रदेश के गठन के तीन साल बाद हुआ। जबसे मैं कुछ सोचने-समझने लगा, तभी से मेरे मन में यह बात रही कि हमारा मध्यप्रदेश कितना अद्भुत और अनूठा है। यहां की माटी को रत्नगर्भा, अन्नपूर्णा और वीर-प्रसूता होने का गौरव प्राप्त है। कुछ और बड़ा होने के बाद मुझे एक बात लगातार खटकती रही कि प्रचुर प्राकृतिक संपदाओं और क्षमताओं से संपन्न यह प्रदेश वांछित रूप से विकसित क्यों नहीं हो पा रहा"

 "विकास एक निरंतर प्रक्रिया है और प्रदेश की स्थापना के समय से ही सभी ने अपनी-अपनी समझ और क्षमता के अनुरूप इसके विकास में योगदान किया। लेकिन यह सवाल फिर भी मुझे कचोटता रहा कि हम जितना विकास कर सकते थे, उतना कर क्यों नहीं पाए। मैं इसके कारणों पर चर्चा नहीं करना चाहता। वर्ष 2005 में मेरी पार्टी में मुझे इस विविधता भरे और विशाल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपा। मैं इस उत्साह से भर गया कि अब मैं प्रदेश के विकास के लिए अपनी सोच के अनुरूप कुछ सकता हूं"

राज्य में आए बदलाव पर सीएम ने लिखा है कि "विकास की बात कहूं तो अनेक ऐसे लोग हैं जो बीते 10-11 साल में मध्यप्रदेश के कायाकल्प को चमत्कार कहते हैं। लेकिन यह चमत्कार नहीं, टीम मध्यप्रदेश, हमारी सरकार की साफ नीति और नीयत तथा प्रदेश के परिश्रमी लोगों के निरंतर प्रयासों का सुफल है। मेरे माटीपुत्र किसानों की जीवटता और समर्पण का ही फल है कि उन्होंने तीन साल तक लगातार प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद मध्यप्रदेश में कृषि उत्पादन कम नहीं होने दिया, बल्कि बढ़ा दिया. प्रदेश को चार साल से लगातार कृषि क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए भारत सरकार पुरस्कृत कर रही है"

राज्य के शिक्षा के स्तर में आ रहे बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, "प्रदेश के बड़े शहरों ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे स्थानों से भी हमारे बच्चे पढ़-लिखकर देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं"

राज्य के आर्थिक विकास को बड़ी उपलब्धि मानते हुए चौहान ने अपने ब्लॉग में लिखा, "श्रमिकों के परिश्रम और उद्यमियों की उद्यमशीलता का ही परिणाम है कि विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के बावजूद मध्यप्रदेश आठ प्रतिशत से अधिक औद्योगिक विकास दर कायम रखने में कामयाब हुआ है। इसी अच्छे वातावरण के कारण आज मध्यप्रदेश निवेशकों और उद्योगपतियों की पहली पसंद बनकर उभरा है। हाल ही में इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को जो रिसपॉन्स मिला है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हो चुका है।"

 "मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि प्रदेश महिलाओं के सशक्तिकरण में अग्रणी है, हमारी बेटिया और बहनें हर क्षेत्र में प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रही हैं। महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए हमने सुनियोजित योजनाएं लागू की हैं, जिनके बहुत अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।"

चौहान ने अपनी भावी योजना का खुलासा करते हुए लिखा है, "मेरा सपना है कि मध्यप्रदेश भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के सबसे विकसित, सशक्त, सक्षम, समृद्ध और अग्रणी राज्यों में शामिल हो. मुझे प्रदेश और प्रदेशवासियों की क्षमता पर पूरा विश्वास है, जिसके बल पर मैं कह सकता हूं कि हम अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करके रहेंगे।