Oct 30, 2019
देवेन्द्र कुशवाहा - होंशगाबाद जिले के सोहागपुर तहसील में एक ऐसा मेला लगता है जिसमें क्षेत्र के सभी 150-200 तांत्रिक यहां आकर तंत्र की देवी गांगों की परिक्रमा करते हैं। ये तांत्रिक अपने साथ अपने-अपने निशान के रूप में ढाला ले कर आते हैं। जिसे ये सभी तांत्रिक मोर पंखों से सजा कर गांगों देवी के पास लेकर आते है। यहां इस प्रकार का मेला पिछले 150 सालों से लगता आ रहा है। सोहागपुर के सुखराम कोरी अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा को बकायदा आज भी बनाए हुए हैं। इस मेले को लेकर यहां काफी उत्साह बना रहता है।
मेले के संबंध में प्रचालित किवदंती
सोहागपुर में भाई दूज के दिन मनाया जा वाले इस पर्व को लेकर ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव के गण भीलट देव और तंत्र की देवी गांगों दोनों तंत्र विद्या में माहिर थे। एक समय ऐसा आया कि दोनों आपस में ही अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने लगे। जिसमें तंत्र की देवी गांगों ने भीलट देव को तंत्र विद्या के दम पर बैल बना दिया। शिव जी ने दोनों को आपस में लड़ता देख समझाया और कहा कि तुम दोनों भाई बहिन हो आपस में लड़ना बंद करो। गांगो को आशीर्वाद देकर कहा कि आज से सभी तंत्र के देवता और गण गांगों की भाई दूज के दिन पूजा करके परिक्रमा करेगें। तभी से तंत्र के जानने वाले पडियार गांगो माता की पूजा करते हैं।
ऐसे बनती है गांगों देवी की मूर्ति और भीलट देव का निशान
इस मेले की एक और खास बात है कि तंत्र की देवी की पूजा और परिक्रमा तब तक शुरू नहीं होती, जब तक भीलट देव का निशान वहां नहीं आ जाता। भीलट देव का निशान एक बांस में लोटा बांधकर बनाया जाता है और बाकी तांत्रिक गण अपने निशान बांस में मोर पंख बांधकर बनाते है। तांत्रिक गांगों देवी की मूर्ति को मिटटी और चमडे से बनाया जाता है। देवी के हाथ में मुर्गी का अंडा रखा जाता है, साथ ही जब सभी तांत्रिक परिक्रमा पूरी कर लेते है तब गांगों देवी के सामने मुर्गो की बलि दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मेले में लोग अपनी किसी भी परेशानी और समस्या को लेकर आते हैं तो उनकी समस्याए भी हल हो जाती है।