Sep 10, 2022
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 153 किलोमीटर दूर स्थित देवास शहर एक पौराणिक और प्राचीन नगर है । कहा जाता है कि यहां आज भी कई देवी- देवताओं का वास है। देवास में ऊंची पहाड़ी पर मां चामुंडा और तुलजा भवानी का प्रसिध्द देवी मंदिर है, विव्दानों के मुताबिक यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में शामिल है। हिंदू धर्म के अनुसार जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए । कहा जाता है कि देश के अन्य शक्तिपीठों में माता के शरीर के अंग गिरे थे लेकिन इस टेकरी पर माता का रक्त गिरा था इसलिए देवास की माता टेकरी को रक्तपीठ कहा जाता है।
माता के जाग्रत स्वरूप
लोक मान्यता है कि यहां पर जो देवी मां हैं उनके दो स्वरूप हैं और दोनों ही जाग्रत रुप में हैं। यह मंदिर तुलजा भवानी और चामुंडा देवी का है। तुलजा देवी को बड़ी मां और चामुंडा देवी को छोटी मां कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां माता दिन में तीन रूप बदलती हैं। दोनों देवियों के सुबह में बाल, दोपहर में जवान और रात में वृध्द रुप देखे जा सकते हैं। वैसे तो इस मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन नवरात्रि में इस मंदिर का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि यहां लगातार 7 दिन तक पान का बीड़ा चढ़ाने से मन्नत पूरी होती है।
बड़ी माता का आधा शरीर समाया है जमीन में
यह एक एतिहासिक मंदिर है जिसका इतिहास बहुत कम लोग जानते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि बड़ी माता तुलजा भवानी और छोटी माता चामुंडा देवी बहनें हैं। एसी मान्यता है कि एक बार दोनों में विवाद हो गया और दोनों माता टेकरी छोड़कर जाने लगीं। माताओं को जाता देख उन्हें मनाने के लिए बजरंगबली और भैरूबाबा भी उनके पीछे चल दिए। जब तक बड़ी माता का गुस्सा शांत होता उनका आधा ध़ड़ पाताल में समा चुका था। वहीं छोटी माता टेकरी से काफी नीचे उतर आई थीं, इस कारण दोनों माताएं उसी रूप में टेकरी पर रुक गईं।