Feb 26, 2024
HIGHLIGHTS
- दुनिया की पहली वैदिक घड़ी, उज्जैन जिले में तैयार और स्थापित की गई है
- यह जिले में सरकारी जीवाजी वेधशाला के पास स्थित है
- घड़ी एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक के आधार पर समय की गणना करेगी
स्वराज खास - दुनिया की पहली और एकमात्र वैदिक घड़ी 29 फरवरी को उज्जैन में लगने जा रही है। यह घड़ी 85 फिट ऊंचे टावर पर लगाई जाएगी। यह दुनिया की पहली डिजिटल घड़ी होगी जिसमें भारतीय मानक समय और ग्रीनविच मीन टाइम के साथ पंचांग और मुहूर्त की जानकारी भी होगी।
इस घड़ी में 12 ज्योतिर्लिंग, श्री राम मंदिर और कैलाश मानसरोवर को दिखाय गया है। यह घड़ी आपको सूर्योदय-सूर्यास्त, सूर्य-चंद्र ग्रहण, पंचांग, मौसम की जानकारी भी देगी। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकंड भी होंगे। टावर पर एक टेलीस्कोप होगा, जो खगोलीय घटना का नजारा देगा। इस घड़ी के लिए एक ऐप भी तैयार किया गया है, इस घड़ी को इंटरनेट और जीपीएस से कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस ऐप का इस्तेमाल आम लोग अपने मोबाइल पर कर सकेंगे. इस घड़ी की खास बात यह है कि विक्रम पंचांग को वैदिक घड़ी में शामिल किया जाएगा और यह घड़ी सूर्योदय से सूर्यास्त तक ग्रहों, योग, भद्रा, चंद्रमा की स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के बारे में विस्तृत जानकारी देगी। यह घड़ी दुनिया की पहली घड़ी होगी, जो भारतीय समय की गणना सबसे सटीक बताएगी। विधि, घटना का समय, शुभ मुहूर्त सब कुछ घड़ी में देखा जा सकता है।

उज्जैन में ही क्यों स्थापित की जा रही है,दुनिया की पहली वैदिक घड़ी - महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ संस्था के निर्देशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि उज्जैन का ये सौभाग्य है कि ये कालजयी नगरी है, तो सृष्टि के आरंभ के साथ महाकाल... की कृपा के कारण उज्जैन की स्थापना हुई. काल के प्रभाव में जो हमारी वैदिक काल गणना विलुप्त हो गई थी, उसको दोबारा प्रारंभ करने का सौभाग्य हमे मिल रहा है..

जीवाजी वेधशाला में लगेगी विश्व की पहली वैदिक घड़ी - विश्व की पहली वैदिक घड़ी काल गणना के केंद्र माने गए उज्जैन के जंतर-मंतर यानी जीवाजी वेधशाला में लगाई गई है, ऐसा प्रमाण है की ये स्थान करीब 300 साल पुराना है,जीवाजी वेधशाला का निर्माण मालवा के गवर्नर रहे महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने वर्ष 1719 में कराया था। इसके बाद दिल्ली, जयपुर, मथुरा और वाराणसी में भी वेधशाला का निर्माण कराया गया था। सवाई जय सिंह ने काल गणना के लिए सभी वेध शालाओं में सम्राट यंत्र, नाड़ी विलय यंत्र, भित्ति यंत्र, दिगंश यंत्र का निर्माण कराया था। चूंकि उज्जैन से कर्क रेखा भी गुजरती है, इसलिए सवाई जय सिंह ने यहां स्वयं आकर भी अध्ययन किया था।
मोबाइल पर इस तरह देख सकेंगे घड़ी - घड़ी वैदिक काल गणना के सिद्धांतों पर स्थिर होगी। यह प्रतिदिन देश-विदेश में अलग-अलग समय पर होने वाले सूर्योदय को भी सिंक्रोनाइज करेगी। वैदिक घड़ी एप के जरिए मोबाइल पर भी देखी जा सकेगी। इस ऐप को कोई भी आम आदमी अपने फ़ोन में इंस्टाल कर सकता है।
