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FIR-270 में छिपा है सिमी आतंकी जेल ब्रेक का पूरा राज

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Nov 3, 2016

सिमी आतंकियों के भोपाल सेंट्रल जेल से फरार होने पर कई सवाल खड़े किए जा रहे है. इस मुद्दे पर सियासी घमासान मचा हुआ है। जिसके चलते हेड कांस्टेबल रमाशंकर यादव की जान चली गई। ये लापरवाही की दास्तां पुलिसकर्मी चंदन सिंह ने एफआईआर में दर्ज कराई. चंदन सिंह ने गांधी नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई हैं। 

"मैं चंदन सिंह भोपाल सेंट्रल जेल में पदस्थ हूं. 30 अक्टूबर को रोजाना की तरह रात 2:00 बजे ड्यूटी पर पहुंचा. मेरे साथ प्रधान आरक्षक रमाशंकर यादव मौजूद थे. मैं और रमाशंकर यादव बी ब्लॉक में तैनात थे. रूटीन की चेकिंग के लिए बैरक नंबर 19 के पास पहुंचा, तो बैरक के पास छुपे तीन आरोपियों ने मुझे पकड़ लिया."

"आरोपियों ने मेरा मुंह दबाकर हाथ-पैर कपड़े से बांधे और मुंह पर में कपड़ा ठूंस दिया. इसके बाद मुझे बैरक नंबर 19 में डालकर सभी आरोपी चले गए. कुछ देर बाद दूसरी तरफ से रमाशंकर यादव की चीख सुनाई दी. मुझे पकड़ने वाले आरोपी बैरक नंबर 19, 20 और 21 में बंद थे. करीब 45 मिनट के बाद जेल में तैनात चार पुलिसकर्मी बैरक में आए और मेरे हाथ-पैर को खोला." 

"इसके बाद हमने बैरक नंबर 13 में जाकर देखा तो रमाशंकर यादव जी मृत अवस्था में पड़े हुए थे और बी ब्लॉक में बंद सभी 8 आतंकी फरार हो चुके थे."

45 मिनट तक सोते रहे प्रहरी!

सिमी के आठों आतंकी जेल के अंदर करीब आधे घंटे तक रहे. उन्होंने रमाशंकर की हत्या की और जेल की 32 फीट की दीवार फांदकर फरार हो गए। 

चौंकाने वाली बात है कि आतंकियों की फरारी तक जेल में पहरा दे रहे किसी भी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी को भनक नहीं लगी.

एफआईआर नंबर 270 में दर्ज उस सच से पता चला कि रमाशंकर की हत्या के बाद पूरे 45 मिनट तक किसी ने बी ब्लॉक में पहरा देना उचित नहीं समझा. वॉच टॉवर पर तैनात पुलिस जवान भी सो रहे थे. इन 45 मिनट पर कोई भी जेल प्रहरी समय रहते सायरन बजाता, तो शायद आतंकी फरार होने में सफल नहीं हो पाते.