Sep 30, 2021
बिहार में खेतिहर भूमि के विवाद को सुलझाने की दिशा में राज्य की नितीश कुमार सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। IIT रूड़की से आई टीम ने भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया है और अब बहुत जल्द चकबंदी के माध्यम से किसानों के अलग-अलग जगहों की खेती की जमीन एक स्थान पर किया जाएगा। बिहार सरकार की इस पहल के बाद एक ओर जहां किसानों को लाभ होगा, वहीं जमीनी विवाद में भी गिरावट आयेगी।
भूमि विवाद बिहार की सबसे जटिल समस्या
बता दें कि भूमि विवाद बिहार की सबसे जटिल समस्या है, किन्तु जल्द ही यह समस्या खत्म हो जायेगी, क्योंकि इस दिशा में बिहार सरकार ने पहल शुरू कर दी है। भूमि विवाद को जड़ से समाप्त करने के लिये बिहार सरकार भूमि सर्वेक्षण का कार्य करवा रही है और बहुत जल्द चकबंदी कर उन किसानों को एक जगह भूमि का भूखंड मुहैया करवा देगी, जिनकी जमीन अलग-अलग स्थानों पर है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत राय के अनुसार, इस काम को IIT रूड़की की पांच सदस्य टीम द्वारा करवाया जा रहा है। टीम ने इस काम को तक़रीबन पूरा कर लिया है और आने वाले दिनों में हम लोग चकबंदी कर किसानों को जमीन उपलब्ध करवा देंगे।
सरकार की इस पहल से जमीन विवाद में आयेगी कमी
मंत्री रामसूरत राय यह भी बताते हैं कि इसकी पहल सीएम नीतीश कुमार के द्वारा आज से सात वर्ष पूर्व की गई थी और अब जाकर यह अपनी परिणीति पर पहुंचा है। सरकार के इस पहल के बाद ना केवल जमीन विवाद में कमी आयेगी, बल्कि किसान चाहे तो अपनी जमीन को किराये पर दे सकेंगे और जमीन को बेच भी सकेंगे। किसान अपनी जमीन पर स्कूल, कॉलेज अस्पताल या चाहे जो कुछ करना चाहे वो बगैर किसी विवाद के कर सकेंगे। इस काम को तेजी से करने के लिये IIT रुड़की की टीम के द्वारा एक एप भी बनाया जा रहा है।
क्या है चकबंदी ?
एक किसान के पास यदि दस अलग-अलग जगहों पर जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े हैं, तो उसको एक स्थान पर लाकर उस किसान को चक के तौर पर दे दिया जाता है इसमें सबसे बड़ी बात जो है उसमें कॉमर्शियल और भाव देखा जाता है, साथ ही प्रत्येक जमीन पर जाने के लिये सड़क पानी का प्रबंध रहता है यानी आप ट्रैक्टर से सीधे किसी भी प्लॉट पर जा सकते हैं। पूरा काम इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी तरीके से हो रहा है, ताकि कही कुछ गलत ना हो।
कब बना चकबंदी कानून ?
बता दें कि बिहार में चकबंदी का कानून 1956 में बना था और 1958 में इसके नियम बनाये गए। नियम बनाये जाने के बाद बिहार में 1970-71 में चकबंदी पर कार्य आरंभ हुआ। इस दौरान बिहार में 16 जिला के 180 अंचल में चकबंदी शुरू हुई, जिसमे 28 हजार गांव शामिल थे, किन्तु 1992 में चकबंदी को स्थगित कर दिया गया, जिसके बाद कैमूर किसान संघ ने कोर्ट का दरबाजा खटखटाया और कोर्ट के अदेश के बाद 1996 में चकबंदी फिर आरंभ की गई।