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जानिए भारत के उन प्राचीन मंदिरों के बारे में जिनका इतिहास है सदियों पुराना

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Mar 12, 2023

भारत में कई ऐसे पुराने मंदिर हैं, जिनका इतिहास बेहद प्राचीन है। इसकी खूबसूरती और शोहरत आज भी बरकरार है। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की चर्चा पूरी दुनिया में फैली हुई है। विभिन्न धर्मों के संगम की भूमि भारत में एक से बढ़कर एक प्राचीन और भव्य कलात्मक मंदिर हैं, जिनकी सुंदरता देखने लायक है। हजारों साल पुराने इन मंदिरों की सुंदरता और समृद्धि को देखकर आपको भारत के विशाल इतिहास का अंदाजा हो जाता है। इन मंदिरों की नक्काशी भारतीय संस्कृति, कला और सौंदर्य का अनूठा संगम दिखाती है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। आइए जानते हैं भारत के इन प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में-

बृहदीश्वर मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर हिंदुओं का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण चोल शासक राजराजा चोल प्रथम ने 1002 ईस्वी में करवाया था। यह मंदिर द्रविड़ शैली का अनुपम उदाहरण है। इस मंदिर के शिखर की ऊंचाई 66 मीटर है। उनकी प्रसिद्धि देखने के लिए लोग मीलों का सफर तय करते हैं। यह मंदिर अपने समय में दुनिया की सबसे बड़ी संरचनाओं में गिना जाता था।

चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक के बेलूर में चेन्नाकेशव मंदिर होयलस काल के दौरान बनाया गया था। यागाची नदी के तट पर स्थित यह मंदिर द्रविड़ शैली पर आधारित है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर की दीवारों पर पौराणिक पात्रों के चित्र हैं। इसकी संरचना इतनी शानदार है कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मान्यता दी गई है। तीन प्रवेश द्वारों में से पूर्वी को सबसे अच्छा माना जाता है। मंदिर का निर्माण विजयनगर के शासकों ने चोलों पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।

दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान
माउंट आबू नगर, सिरोही जिला, राजस्थान में स्थित दिलवाड़ा मंदिर, 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच निर्मित पांच मंदिरों का एक समूह है। जैन धर्म को समर्पित इस मंदिर में 48 खंभे हैं, जिनमें नर्तकियों की आकृतियां हैं, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस मंदिर की वास्तुकला उत्कृष्ट और देखने लायक है। यह मंदिर जैन धर्म के सबसे खूबसूरत तीर्थ स्थलों में से एक है।

द्वारकाधीश मंदिर
भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में मौजूद इस मंदिर को चार धाम यात्रा में शामिल किया गया है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 2500 साल पुराना है। यह इतना पुराना है कि इस मंदिर की चर्चा पुरातात्विक तथ्यों में भी मिलती है। मंदिर पांच मंजिला है, जिसमें लगभग 72 स्तंभ हैं। इस मंदिर की विशालता अति प्राचीन है।

श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक विशाल और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर 108 दिव्य मंदिरों में से एक है। दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत और भव्य मंदिरों में से एक इस मंदिर का निर्माण 6वीं और 9वीं शताब्दी के बीच हुआ था। 156 एकड़ में फैले इस मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भी माना जाता है। इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है।

सोमनाथ मंदिर गुजरात
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ प्रथम है। गुजरात में स्थित इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। इस भव्य मंदिर को कई बार तोड़ा गया। हालांकि इस मंदिर की भव्यता और भव्यता आज भी बरकरार है। इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।

ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के पुष्कर में स्थित इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में माना जाता है। यह मंदिर करीब 2000 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर के केंद्र में ब्रह्मा और उनकी दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्ति है। आपको बता दें कि यह मंदिर भारत का इकलौता ब्रह्मा मंदिर है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यहां साल में दो बार मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश के अनेक तीर्थयात्री और पर्यटक भाग लेते हैं।

लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर
भुवनेश्वर, ओडिशा में लिंगराज मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा जाजति केशरी ने करवाया था। भगवान शिव के एक रूप हरिहर को समर्पित मंदिर विशाल है। इसकी अनूठी वास्तुकला इतनी आकर्षक है कि भारत के कोने-कोने से लोग इसे देखने आते हैं।

कैलाश मंदिर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित यह दो मंजिला मंदिर एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है। करीब 12 हजार साल पुराने इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के शासकों ने करवाया था। इसे बनाने में करीब 150 साल लगे और 7000 मजदूरों ने लगातार इस पर काम किया। यह मंदिर प्राचीन भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन माना जाता है। यह मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी एकल पत्थर की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।