Jan 23, 2021
मशहूर शायर अल्लामा इकबाल ने कहा है कि जिस पल से तुम दुनिया की खूबसूरती समझने लगोगे, उस पल से तुम आजाद हो जाओगे। इस आजाद प्रजातंत्र में जहां गरीब प्रजा होना सबसे बड़ा पाप है कोई गरीब कैसे दुनिया की खूबसूरती का अहसास कर सकता है। फिल्म का नौजवान नायक बलराम हलवाई उर्फ मुन्ना (आदर्श गौरव) कहता है कि इस देश में किसी को मुक्ति मिलना मुश्किल है लेकिन फिर भी वह अपनी मुक्ति के आधे सच्चे आधे कच्चे सपने देखता है वह बिहार के उसी सासाराम के एक गांव का रहने वाला है जिसके रास्तों से चलते हुए भगवान बुद्ध ने गया पहुंच कर जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाई थी ।
कहानी बलराम हलवाई की है, जो गांव के जमींदार के यूएस रिटर्न बेटे अशोक (राजकुमार राव) का कार ड्राइवर बन जाता है। अशोक की भारतीय मूल की अमेरिकी पत्नी पिंकी (प्रियंका) भी उसके साथ आई है। यह नई सदी का शुरुआती दौर है, जिसमें अशोक बंगलुरू जाकर आउटसोर्सिंग बिजनेस में पैर जमाना चाहता है । अशोक और पिंकी बलराम को जमींदार परिवार से अलग इंसानी नजरिये से देखते हैं ।लेकिन कहानी तब मोड़ लेती है जब अपने जन्मदिन पर पिंकी शराब के नशे में कार चलाते हुए अंधेरी-सुनसान सड़क पर एक बच्ची को उड़ा देती है । जमींदार-परिवार बलराम से स्टांप पेपर पर लिखवा लेता है कि यह एक्सीडेंट उसने किया है। तब बलराम को महसूस होता है कि अमीर मुफ्त में कुछ नहीं देते बराबर बैठाने के पीछे भी उनका स्वार्थ होता है । धीरे-धीरे कहानी में पैदा होने वाले एहसास रक्त-रंजित होते चले जाते हैं बलराम इस नतीजे पर पहुंचता है कि गरीब के लिए ऊपर आने के दो ही रास्ते हैं, जुर्म या पॉलिटिक्स ।