Jul 18, 2024
विदिशा: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ,विदिशा पीछले एक साल से भ्रष्टाचार की फैक्ट्री बना हुआ है. जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए राज्य और केन्द्र सरकार से आने वाले पैसों का उपयोग जनहित में नहीं होकर कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों के व्यक्तिगत लाभ में हो रहा है. इन में भी सबसे बड़ा भ्रष्टाचार प्रशिक्षण और औषधि क्रय में किया जा रहा है.
ये है पूरा मामला
ताज़ा मामला टीबी रोग से जुड़ा है. यहां के प्रभारी/जिला क्षय अधिकारी समीर किरार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी है. आज भी हमारे देश में क्षय रोग ( टीबी) तेजी से फ़ैल रहा है. इसकी रोकथाम और इलाज को प्रभावी बनाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा एन टी ई पी कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. इसका कार्यक्रम के संचालन के लिए डिफरेंशियेटेड टीबी केयर अन्तर्गत जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रशिक्षण हेतु एन एच एम की गतिविधि क्रमांक: NDCP.473.1.H.6.1 Training under RNTCP में बजट उपलब्ध कराया गया था. इस बजट के विरुद्ध व्यय हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पत्र क्रमांक 1783 दिनांक 28.2.2023 द्वारा समस्त जिला क्षय अधिकारियों को निर्देश जारी किए गये. जिसके अनुसार प्रशिक्षण में 40 कर्मचारी/ अधिकारी का होना जरुरी होता है . मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी विदिशा द्वारा जिला क्षय डॉ समीर किरार और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के लिपिक पवन तोमर को इस ट्रेनिंग की जिम्मेदारी दी गई. इन्होंने इस ट्रेनिंग के खाने पर ही लगभग 600 रूपये प्रति व्यक्ति खर्च कर डाले. जो लोग सुबह 10.00 बजे ट्रेनिंग के लिए आये उनके लिए सुबह का नाश्ता, और दोपहर के खाने का भी बिल लगा दिया गया. जिसमें एक दिन की एक व्यक्ति के चाय का 150 रूपये का बिल लगाया गया था. ट्रनिंग में जो नहीं भी आया उसका भी नाम लिख कर फर्जी हस्ताक्षर बनाये गये. इतना सब करने के बाद भी चालीस प्रशिक्षणार्थी नहीं पूरे हुए तब भी हर सेशन का 40 लोगों का ही बिल निकाल गया. इस तरह से जिला क्षय अधिकारी और लिपिक ने मिलकर लाखों रूपये का भ्रष्टाचार किया. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय, विदिशा में भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी आज भी इसी कार्यालय में पदस्थ होकर उसी शाखा का काम कर रहे हैं, जिसके कारण यह रोज रिकार्ड में हेराफेरी कर रहे हैं. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ निम्न अधिकारी /कर्मचारियों की जांच चल रही है या प्रस्तावित है, लेकिन आज तक इन्हें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से अलग नहीं किये जाने से यह रिकार्ड में हेराफेरी कर सकते हैं और जांच को भी गलत तरह से प्रभावित कर सकते हैं.
भष्टाचार में लिप्त अधिकारी जिनपर जांच चल रही है
1. डॉ. समीर किरार, जिला क्षय अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी - इनके खिलाफ क्षय रोग से संबंधित दवाइयों के खरीदने और ट्रेनिंग में गड़बड़ी की जांच चल रही है
2. 2. विजय नकुल फार्मासिस्ट ग्रेड -2: स्टोर-कीपर और क्रय शाखा का प्रभार - इनके विरुद्ध क्षय केंद्र के लिए दवाइ सामग्री क्रय में अनियमितता की जांच चल रही है. इन्होने आर्डर तो दे दिया, बिल भी चढ़ा कर भुगतान कर दिया लेकिन माल आया ही नहीं.
3. पवन तोमर, लिपिक - इनके पास सी एम् एच ओ कार्यालय की समस्त ट्रेनिंग कराने की जिम्मेदारी है. क्षय रोग के प्रशिक्षण में इनके द्वारा लाखों रुपये की अनियमितता की गयी है. प्रशिक्षण आयोजित किये बिना ही लाखों के बिल का भुगतान. कागजों पर प्रशिक्षण जैसे कार्य करने का भी आरोप.
4. प्रदीप राठौर, लिपिक, - इनके द्वारा ए एन एम और फार्मासिस्टो की नियुक्ति में घोर अनियमितता की गयी है.
टेंडर भी नहीं कराया गया
म. प्र. भंडार क्रय नियमानुसार 13 जून 2023 से 50,000 रूपये से बड़ी राशि के क्रय के लिए टेंडर करना अनिवार्य है. लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय द्वारा किसी भी कार्य के लिए टेंडर नहीं करके कोटेशन या पुराने सेटिंग वाले टेंडरो की दर पर कार्य करके सरकार को लाखो रूपये का चूना लगाया गया और सब चुप रहे