Mar 23, 2023
मां ब्रह्मचारिणी पूजा: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन भक्तों को क्या करना चाहिए।
माता ब्रह्मचारिणी
चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन: आज चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और गुरुवार है। द्वितीया तिथि आज शाम 6 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। चैत्र नवरात्रि का प्रत्येक दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों में से एक या दूसरे से जुड़ा हुआ है। आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी से जुड़ा है। आज मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी. यहाँ 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ है तपस्या और 'ब्रह्मचारिणी' का अर्थ है - तपस्या करने वाली। मां दुर्गा का यह स्वरूप सदा फलदायी है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
श्वेत वस्त्र धारण करने वाली माता ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के भीतर जप और तप की शक्ति में वृद्धि होती है। माता ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को यह संदेश देती हैं कि कड़ी मेहनत से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। कहा जाता है कि जो भी आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त कर सकता है। इससे व्यक्ति के भीतर आत्मसंयम, धैर्य और परिश्रम की भी वृद्धि होती है।
मंत्र जाप से मां ब्रह्मचारिणी प्रसन्न होंगी
यदि आप किसी कार्य में अपनी विजय सुनिश्चित करना चाहते हैं तो आज के दिन आपको मां ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिणाय नमः'। आज आप इस मंत्र का कम से कम एक मनका यानि 108 बार जाप करें। यह विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही इस दिन मां को साकार और पंचामृत का भोग लगाने से लंबी उम्र का वरदान मिलता है। मंगल संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना अत्यंत लाभकारी रहेगा।
मां ब्रह्मचारिणी से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नारदजी के उपदेश के बाद माता ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की, इसलिए उन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी ने हजारों वर्षों तक जमीन पर पड़े बेलपत्रों को खाकर भगवान शंकर की पूजा की और बाद में उन्होंने पत्ते खाना बंद कर दिया, इसलिए उनका नाम अपर्णा पड़ा। इसलिए देवी मां हमें हर हाल में मेहनत करने और कभी हार न मानने की प्रेरणा देती हैं।