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रसेल वाइपर प्रजाति के सांपों ने दिया 21 संपोलों को जन्म

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Jul 14, 2017

बिलासपुर : 16 साल में आठ हजार से अधिक सांप पकड़ चुके स्नैकमैन के नाम से मशहूर पेंड्रा के रहने वाले द्वारिका प्रसाद कोल ने एक और साहसिक कारनामा कर दिखाया हैं। दुनिया में तेजी से विलुप्त हो रहे रसेल वाइपर प्रजाति के सांपों को अलग-अलग स्थानों से पकड़कर जोड़ा बनाया। अब इस जोड़े ने 21 संपोलों को जन्म दिया हैं। स्थानीय बोली में ये सांप के बच्चे जगर्रा नाम से जाने जाते हैं। जिनका वैज्ञानिक नाम रसेल वाईपर हैं। इसको डाबोया भी बोलते हैं। रसेल वाइपर (दबोइया रसली) विषम सांप की एक प्रजाति हैं। ये एशिया में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं। साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिणी चीन और ताइवान के अधिकांश इलाकों में भी पाये जाते रहे हैं।

इन प्रजातियों को पैट्रिक रसेल एक स्कॉटिश हेल्पोपोलिजिस्ट जो पहले भारत के कई सांपों का वर्णन करता था, के सम्मान में नामित किया गया था। दबोइया रसेली को सामान्यतः रसेल वाइपर और चेन वाइपर के नाम से जाना जाता हैं।  स्थानीय निवासी द्वारिका प्रसाद कोल ने कुछ दिनों पहले सूचना पर एक घर में छिपे नर प्रजाति के सांप को पकड़ा, बाद में अमरकंटक के पोंड़की स्थित यूनिवर्सिटी परिसर से इसकी मादा प्रजाति का सांप मिला। दोनों को मेटिंग कराने के बाद इन्होंने 21 सांपों को जन्म दिया। जिनमें से एक की मौत कुछ देर बाद हो गयी, जबकि 20 एकदम स्वस्थ और जीवित हैं। सर्प एक्सपर्ट द्वारिका ने बतया कि इस प्रजाति के सांप अंडे नहीं सीधे बच्चे को जन्म देते हैं और इनकी संख्या काफी घट रही हैं। आज जब इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को जन्म दिया, तो अब वे सभी को शीघ्र ही दूर के जंगल में आबादी विहीन इलाके में छोड़ आएंगे। सांपों के बच्चों को देखने के लिये काफी संख्या में लोग द्वारिका के घर पहुंच रहे हैं।