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इस गांव में ऊंच नीच का भेदभाव खत्म करने एक साथ मनाई जाती है होली

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Mar 2, 2018

गरियाबंद। होली आपसी भाई चारे को बढ़ाने और ऊंच नीच का भेदभाव खत्म करने का त्यौहार है, गरियाबंद के सीनापाली में कुछ इसी अंदाज में होली खेली जाती है।गांव के महिला पुरुष, युवा बुजुर्ग बच्चे सब एक ही स्थान पर एक साथ मिलकर सूखी होली खेलते हैं, जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।

3 दिन पहले से होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम...

ना रंग ना पिचकारी मगर होली ऐसी जिसे देखने हजारों लोग पहुंचते हैं।गरियाबंद के अंतिम छोर पर ओडीसा सीमा से जुड़े सीनापाली की होली कुछ ऐसी ही है, यहां होलिका दहन के 3 दिन पहले ही होली मनाने का कार्यक्रम शुरु हो जाता है। इसके लिए गांव में बकायादा मुनादी करायी जाती है। तीन दिन तक गांव में लगातार पूजा पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, और फिर होली के दिन सभी गुलाल लगाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं।यहां की होली की खास बात ये है, कि यहॉ महिला पुरुष बुजुर्ग और बच्चे सब एक साथ मिलकर होली मनाते हैं, इनकी होली को देखकर आसपास के 20 से ज्यादा गांव के लोग भी इनके गांव में होली खेलने आते हैं।

28 साल पहले हुई थी खूनी होली...

गांव के मुखिया रोहित पटेल और बजरंग अग्रवाल बताते हैं कि यहां भी पहले रंगों के साथ जमकर होली खेलते थे, मगर 28 साल पहले होली के दिन दो गुटों में खूनी होली खेली गई, उसके बाद ग्रामीणों ने रंग गुलाल से होली खेलना बंद कर दिया और सात्विक होली खेलना शुरु कर दिया, उसके बाद आज तक गांव में ना तो कभी रंगों से होली खेली गयी और ना ही गांव में कोई विवाद पैदा हुआ, बल्कि गांव में भाईचारे और सौहार्द वातावरण की अनुठी पंरपरा देखने को मिलती है, जिसे देखने और शामिल होने के लिए लोग दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं।

आसपास के ग्रामीण भी हो रहे प्रभावित

उत्साह और उमंग के त्यौहार होली को भाईचारे और प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है, जिसमें लोग ऊंच नीच और छोटे बडे का भेदभाव भूलकर एक दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते हैं, सीनापाली के ग्रामीणों ने अनोखी होली से भाईचारे और प्रेम की जो मिशाल पेश की है वह वाकई काबिले तारीफ है, उनसे प्रभावित होकर आसपास के ग्रामीण भी अब उनकी राह पर चलने लगे हैं, जिससे होली के त्यौहार का आपसी सौहार्द बढ़ाने का वास्तविक उदेश्य सफल होता नजर आ रहा है।