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प्रतिबंध के बावजूद अवैध लाल ईटों को निर्माण धड़ल्ले से जारी

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Feb 27, 2020

खिरेन्द्र - सरकार द्वारा अवैध लाल ईंटों के निर्माण पर प्रतिबंध होने के बावजूद जिले में लाल ईंट भट्टों का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। वहीं एक ओर जिला प्रशासन महिला समूहों को अल्प ब्याज पर ईंट निर्माण की मशीनें उपलब्ध कराके ब्रिक्स निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने में जुटा है।  जबकि जगह-जगह जिले में चल रही शासकीय निर्माण कार्यों में लाल ईंटों का उपयोग हो रहा है। जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर के एरिया से लेकर दूरदराज के गांव में जगह-जगह लाल ईंट की भटियां देखी जा सकती हैं। इसे राजस्व और खनिज विभाग की मेहरबानी कहे या अनदेखी, जिसके चलते क्षेत्र में अवैध लाल ईंट निर्माण का कारोबार बेखौफ फल-फूल रहा है। किसानों को स्वयं के उपयोग हेतु 50000 तक की निर्माण की छूट तो मिल रही है, पर कारोबारियों को लाल ईंट निर्माण हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति जरूरी होता है। विभागीय अनुमति के बगैर ईंट बनाना गैरकानूनी है, लेकिन केशकाल, विश्रामपुरी, बमनी, संबलपुर, गिरोला, पलारी में  बड़ी तादाद में छोटे-बड़े ईंट भट्टों का संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है। ईंट भट्ठों के जलने से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि खनिज राजस्व में लाखों रुपए की हानि हो रही है।

उचित कार्यवाही ना करने से कारोबारियों के हौसले बुलंद

राजस्व व खनिज विभाग के द्वारा अवैध रूप से संचालित लाल ईंट भट्टों पर समय-समय पर विभाग द्वारा कार्यवाही के नाम पर दस्तक दी जाती है, लेकिन अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही ना करने से कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं। अवैध कारोबारी बेधड़क लाल ईंट का निर्माण करते हैं और दुगुने तीगुने दाम में बेचकर मोटी रकम कमा रहे हैं, जो अवैध ईंट कारोबारियों के कमाई का जरिया बन चुका है। विभागीय अधिकारियों को जानकारी होते हुए भी राजस्व और खनिज अमला हाथ पर हाथ धरे खामोश बैठा हुआ है और अवैध ईंट भट्टा कारोबारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कड़ी कार्यवाही ना होना, विभागीय कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। लाल ईंट भट्टों के संबंध में खनिज विभाग के अधिकारी नेहा टंडन से संपर्क करने पर व्यस्तता के चलते जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई।